12 जून को कुवैत के मंगाफ इलाके में इमारत में भीषण आग लगने से 45 भारतीय मजदूर की जान चली गई थी. इन 45 मजदूरों को आज विशेष विमान के जरिए भारत लाया गया है. जिन मजदूरों की कुवैत आगलगी में मौत हुई थी, उसमें 1 मजदूर बिहार और झारखंड से भी था.
बिहार के दरभंगा से कालू खान बीते 5-7 सालों से कुवैत में रहता था. वह वहां सेल्समैन का काम करता था. कालू की अगले महीने जुलाई में ही शादी होनी थी, जिसके लिए वह देश लौटने वाला था. लेकिन उसके वतन लौटने से पहले ही उसकी मौत हो गई. कालू खान की मौत से घर, परिवार और गांव में मातम छाया हुआ है.
सबसे ज्यादा आंध्र प्रदेश से
कालू के अलावा पड़ोसी राज्य झारखंड से भी एक नौजवान की मौत कुवैत आगलगी में हुई है. झारखंड के मोहम्मद अली हुसैन 18 दिन पहले ही कमाने के लिए कुवैत गया था. वह झारखंड के रांची के हिंदपीढ़ी इलाके का रहने वाला था. रांची से कुवैत वह परिवार की आर्थिक मदद के लिए गया था.
मालूम हो कि 2 दिन पहले कुवैत के सात मंजिला मकान में लगी आगलगी ने 49 लोगों की जान ले ली थी. जिसमें सबसे ज्यादा 45 लोग भारतीय थे, उसमें से भी तीन लोग उत्तर प्रदेश के, एक बिहार, झारखंड, पंजाब, हरियाणा, कर्नाटक, महाराष्ट्र और वेस्ट बंगाल से थे. उड़ीसा के दो, सबसे ज्यादा आंध्र प्रदेश के 23 लोग इस भीषण आगलगी में मारे गए. इसके अलावा केरल से भी कई लोग कुवैत इमारत की घटना में मारे गए हैं.
इस भयानक आगलगी की घटना ने कुवैत से लेकर भारत तक को झकझोर कर रख दिया था. जांच में पता चला कि जिस इमारत में आग लगी थी उसमें दीवार के तौर पर इस्तेमाल किए गए पदार्थ में आग को तेजी से फैलने में मदद मिली. इमारत की छत पर भी ताला लगा हुआ था, जिसके कारण मजदूर भागकर अपनी जान नहीं बचा पाए. ज्यादातर मजदूर की जान दम घुटने से हो गई. आग लगने की वजह शॉर्ट सर्किट बताई गई है.