बुधवार को 40 भारतीय मजदूरों की विदेश में दर्दनाक मौत हो गई. मिडिल ईस्ट के देश कुवैत में 40 भारतीय मजदूरों की मौत जलने से हो गई है. दक्षिणी कुवैत के मंगफ में एक बहु मंजिला इमारत में भीषण आग लग गई, जिसकी वजह से कई मजदूर जल गए है. घटना में 50 अन्य लोग घायल भी हुए हैं.
बुधवार की रात मंगफ के अल मंगफ इमारत में भीषण आगलगी में कुल 49 लोगों की जान चली गई है. इसमें भारत, पाकिस्तान, फिलीपींस, मिस्र और नेपाल के भी नागरिक के शामिल थे.
अधिकतर मजदूर उत्तर भारत के
कुवैत से मिली इस से खबर को लेकर विदेश मंत्रालय ने भी अपना बयान जारी किया. बुधवार की रात विदेश मंत्रालय ने कहा कि कुवैत में एक आवासीय इमारत में आग की एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई, जिसमें 40 भारतीय मजदूर की जान चली गई है. वही 50 लोग इस आगलगी में घायल हो गए हैं. जिससे इमारत में आग लगी थी, उसमें मजदूर रहते थे.
विदेश मंत्रालय ने बताया कि कुवैत में भारतीय दूतावास के अधिकारियों से पूरा ब्योरा जुटाया जा रहा है. साथ ही जो लोग घायल हैं उन्हें पांच सरकारी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है, जहां इलाज चल रहा है. अस्पताल प्रशासन के अनुसार भर्ती हुए ज्यादातर मजदूर की स्वास्थ्य स्थिति में सुधार है.
घटना को लेकर पीएम मोदी ने भी दुख जताया है. इस पूरी घटना के बाद पीएम ने विदेश मंत्री एस जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, विदेश सचिव विनय कवात्रा, पीएम के प्रधान सचिव पीके मिश्रा और अन्य वरिष्ठ अध्याय अधिकारियों के साथ बैठक भी की. पीएम ने मृतक भारतीय नागरिकों के परिवारों के लिए राहत कोष से दो-दो लाख रुपए की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है.
खबरों के मुताबिक मृतकों में अधिकतर मजदूर केरल, तमिलनाडु और उत्तर भारत के राज्यों से थे. जिनकी उम्र 20 से 50 साल के बीच बताई जा रहे हैं.
विश्व में पांचवी अर्थव्यवस्था बनने के दावे
पूरी घटना बुधवार तड़के सुबह 4:00 के करीब हुई, सुबह 4 बजे 6 मंजिला इमारत के किचन में पहले आग लगी, जो पूरे इमारत में धीरे-धीरे फैल गई. इमारत में मौजूद अधिकतर मजदूर नाइट शिफ्ट कर लौटे थे और सो रहे थे. जिससे इतना बड़ा हादसा हो गया. वही जिस बिल्डिंग में मजदूर सो रहे थे उसमें जगह भी तंग होने की वजह से कई लोगों को भगाने का मौका नहीं मिला. इमारत से बाहर निकलने के लिए रास्ता भी एक ही था, जिसकी वजह से कुछ लोगों ने खिड़की से छलांग लगा दी.
बता दें कि मिडिल ईस्ट के कई देशों में भारतीय नागरिकों की स्थिति ख़राब है. खासतौर पर मजदूर वर्ग के लोगों की, जो सिर्फ पैसों के लालच में कुवैत और दूसरे देशों में जाकर बस जाते हैं. इन देशों में मजदूरी तो अच्छी मिलती है, लेकिन रहने के हालात बत्तर होते हैं. आंकड़ों के मुताबिक कुवैत में बड़ी संख्या में भारतीय रहते हैं. देश में आज भी इनकी आबादी करीब 10 लाख है. जिसमें बड़ी संख्या में मजदूर, इंजीनियर, डॉक्टर, चार्टर्ड अकाउंटेंट, सॉफ्टवेयर एक्सपर्ट और टेक्नीशियन शामिल है.
ऐसे में सोचना यह है कि भारतीय पीएम के विश्व में पांचवी अर्थव्यवस्था बनने के दावे के बावजूद देश के नागरिक बाहर मजदूरी करने क्यों जाते हैं? इतनी बड़ी अर्थव्यवस्था क्या देश में ही लोगों को रोजगार और पैसा नहीं दे पा रही है? तीसरी टर्म की सरकार को इन सब मुद्दों पर गौर कर देश के नागरिकों को रोजगार के लिए कदम बढ़ाने चाहिए.