बिहार में 8 साल पहले सीएम नीतीश कुमार ने पूर्ण शराबबंदी लागू की थी. इस शराबबंदी के बाद से कई मौकों पर नीतीश कुमार नशा मुक्ति और शराब सेवन न करने पर लोगों को जागरुक करते रहते हैं.
हालांकि राज्य में भले ही शराबबंदी पूरी तरह से लागू हो लेकिन राज्य में अब भी शराब तस्कर, कारोबारी और शराब के बड़े खेप आए दिन पकड़े जा रहे हैं. विपक्ष ने कई बार इस शराबबंदी पर सवाल भी उठाया है. हम के संरक्षक जीतन राम मांझी ने तो राज्य में शराबबंदी कानून को वापस लेने की मांग की है.
सीएम कराएंगे शराबबंदी सर्वे
लेकिन सीएम नीतीश कुमार शराबबंदी कानून को वापस लेने के मूड में बिल्कुल नहीं है, बल्कि वह शराबबंदी सर्वे करने के मूड में नजर आ रहे हैं. जदयू के मंत्री ने इस बात की जानकारी दी है कि जल्द ही राज्य में शराबबंदी सर्वेक्षण कराया जाएगा.
जदयू के मंत्री सुनील कुमार ने शराबबंदी सर्वेक्षण का जिक्र करते हुए कहा कि बिहार सरकार जल्द ही एक टीम का गठन करेगी, जो घर-घर जाकर शराबबंदी की सफलता पर सर्वेक्षण करेगी. शराबबंदी सर्वेक्षण के लिए एजेंसी का भी चयन किया जाएगा.
एजेंसी घर-घर जाकर करेगी सर्वेक्षण
मध्य निषेध एवं उत्पाद मंत्री सुनील कुमार सिंह ने डिटेल सर्वे कराए जाने की बात कही. उन्होंने कहा कि एजेंसियों का चयन काम करने के आधार पर किया जाएगा और फाइनल सिलेक्शन के बाद सर्वेक्षण को धरातल पर कराया जाएगा. तीन एजेंसियों का नाम सर्वेक्षण के लिए आया है, जिनमें से किसी एक एजेंसी को सर्वे की जिम्मेदारी दी जाएगी. 10 दिनों के भीतर एजेंसी का चयन कर लिया जाएगा.
शराबबंदी सर्वेक्षण से यह पता लग जाएगा की राज्य में कितने लोग इस कानून के पक्ष में है, और कितने लोग विपक्ष में. साथ ही यह भी बात सर्वे की रिपोर्ट से सामने आएगी की शराबबंदी से कितने लोगों को फायदा हुआ है.
बीते साल ही बिहार में जाति आधारित सर्वेक्षण कराया गया था. इस सर्वेक्षण में घर-घर जाकर लोगों से जाति, आय इत्यादि चीजें पता की गई थी. इस रिपोर्ट को दो अक्टूबर को प्रकाशित किया गया था. सर्वेक्षण रिपोर्ट जारी होने के बाद जो बिहार में खूब बवाल मचा था.