Loksabha Election 2024: पूर्वी चंपारण में BJP का प्रभाव, राधा मोहन 6 बार बने सांसद

Loksabha Election 2024: राधा मोहन सिंह तीन बार पूर्वी चंपारण से परिसीमन के बाद सांसद बने, परिसीमन के पहले भी राधा मोहन इस क्षेत्र से तीन बार सांसद रह चुके हैं. 

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पूर्वी चंपारण लोकसभा चुनाव

पूर्वी चंपारण लोकसभा चुनाव

साल 2008 के परिसीमन के बाद पूर्वी चंपारण लोकसभा सीट अस्तित्व में आई. 2008 के पहले यह सीट मोतिहारी के नाम से जानी जाती थी, इस सीट पर पहली बार चुनाव 2009 में कराए गए. पहले चुनाव से ही पूर्वी चंपारण में भाजपा की लहर देखने को मिली है, 2009 के बाद 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार ने यहां जीत दर्ज की है. तीनों ही चुनाव में भाजपा से राधा मोहन सिंह पूर्वी चंपारण से सांसद बने और भारी अंतर के साथ भाजपा के खाते में यह सीट आई.

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राधा मोहन सिंह तीन बार पूर्वी चंपारण से परिसीमन के बाद सांसद बने, परिसीमन के पहले भी राधा मोहन यहां से तीन बार यहां सांसद रह चुके हैं. 

भाजपा के पहले कई सालों तक कांग्रेस की झोली में यह सीट जाती रही थी. 1952 से 1971 तक कांग्रेस के विभूति मिश्रा ने पूर्वी चंपारण सीट का प्रतिनिधित्व किया. इसके बाद 1977 में पहली बार कांग्रेस के बजाय पूर्वी चंपारण वामपंथी पार्टी और राजद के खाते में चली गई.

हालांकि ज्यादा दिनों तक यह सीट इन दोनों के हाथ में नहीं रही और 1989 से भाजपा लगातार यहां जीत हासिल करती गई. 1989 में पहली बार भाजपा के राधा मोहन सिंह ने यहां जीत हासिल की. उसके बाद 1996 और 1999 में भी भाजपा के जीत की रथ यात्रा बढ़ती गई. बीच में एक बार 2004 के चुनाव में राजद के टिकट पर अखिलेश प्रसाद सिंह ने पूर्वी चंपारण में कदम रखा और जीत हासिल की. लेकिन यह आखरी मौका था जब राजद की उम्मीदवारी यहां काम आई. 2004 के बाद से राधा मोहन सिंह को पूर्वी चंपारण में कोई नहीं हरा पाया है.

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सांसद राधामोहन सिंह ने चुनाव लड़ने से किया इनकार

2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार ने रालोसपा उम्मीदवार आकाश प्रसाद सिंह को 3 लाख वोटों से हराया था. पिछले आम चुनाव में राधा मोहन सिंह को पूर्वी चंपारण के 5,74,081 लोगों ने वोट दिया था, तो वही आकाश प्रसाद सिंह को 2,81,500 लोगों ने वोट दिया था. इन दोनों के बाद तीसरे नंबर पर नोटा बटन पर लोगों ने भरोसा जताया था. पूर्वी चंपारण के 22,706 लोगों ने 2019 के लोकसभा चुनाव में नोटा बटन दबाया था.

बात करें इस सीट पर जातीय समीकरण की तो पूर्वी चंपारण में भूमिहार, राजपूत, यादव, मुस्लिम, कुशवाहा और वैश्य वोटर चुनावी फैसला को निर्धारित करते हैं. सबसे ज्यादा चार लाख के करीब वैश्य मतदाता पूर्वी चंपारण में है. इसके बाद ढाई लाख के करीब भूमिहार वोटरों की संख्या क्षेत्र में है, वही राजपूत वोटर लगभग एक लाख पैसठ हजार के करीब है और कुशवाहा वोटर करीब सवा दो लाख हैं.

पूर्वी चंपारण में कुल पुरुष वोटरों की संख्या 5,02,773 पर महिला वोटरों की संख्या 4,90,037 है और थर्ड जेंडर मतदाताओं की संख्या यहां 26 है.

2024 के लोकसभा चुनाव में सांसद राधा मोहन सिंह ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया है. छह बार पूर्वी चंपारण से सांसद रहे राधा मोहन सिंह ने उम्र का हवाला देते हुए इस आम चुनाव ना लड़ने की घोषणा की है. गठबंधन में यह सीट भाजपा के खाते में बनी हुई है, तो वही इंडिया ब्लॉक से यह सीट मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी के खाते में गई है. दोनों की तरफ से अभी इस सीट के लिए चेहरे का खुलासा नहीं हुआ है.

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