2024 के लोकसभा चुनाव में बिहार की हाजीपुर सीट(एससी) हॉट सीट से बनी रही. पिछले साल से ही हाजीपुर सीट को लेकर चाचा-भतीजे में द्वंद देखने को मिल रहा था. हाजीपुर सीट के लिए एक तरफ जहां लोजपा(रामविलास) के चिराग पासवान अपनी दावेदारी ठोक रहे थे, तो वही उनके चाचा पशुपति पारस लोजपा से लड़ने के लिए दावा कर रहे थे. यह दोनों ही पार्टियों एक ही गठबंधन का हिस्सा है, ऐसे में यह दिलचस्प हो गया था कि गठबंधन किसको इस सीट से टिकट देगी. हालांकि इस द्वंद्व को गठबंधन ने खत्म करते हुए युवा बिहारी चिराग पासवान को हाजीपुर सीट से टिकट दे दिया, तब जाकर कहीं पशुपति पारस ठंडे हो गए.
बीते कई सालों से युवा बिहारी के पिता का इस सीट पर कब्ज़ा रहा है, लेकिन शुरुआत के 10 साल कांग्रेस पार्टी हाजीपुर सीट काबिज रही थी. 1957 से 1967 तक कांग्रेस पार्टी हाजीपुर सीट जीतती रही. 1971 में कांग्रेस(आर्गेनाइजेशन) ने हाजीपुर सीट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. इसके बाद दो चुनाव में जनता पार्टी और जनता पार्टी (सेकुलर) से राम विलास पासवान हाजीपुर में जीतते रहे. फिर 1977 से 1980 तक रामविलास पासवान हाजीपुर की जनता के दिलों पर राज करते रहे.
1977 में हाजीपुर को एसएससी सीट के तौर पर आरक्षित कर दिया था. 1977 के चुनाव में युवा नेता के तौर रामविलास पासवान ने कांग्रेस के उम्मीदवार को बड़ी मात दी थी. रामविलास पासवान ने देश में सबसे अधिक 4,69,007 वोट हासिल कर गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज करवाया था.
2009 में लोक जनशक्ति (एलजेपी) की स्थापना
1984 में कांग्रेस ने फिर से इस सीट पर वापसी की, इसके बाद 1989 से 1998 तक जनता दल हाजीपुर में चुनाव जीतती रही, इस दौरान तीन बार रामविलास पासवान हाजीपुर सीट जीत कर जनता दल की झोली में डालते रहे. 1991 में रामविलास पासवान ने जदयू से हाजीपुर सीट पर जीत हासिल की, इसके बाद उन्होंने 2009 में अपनी पार्टी लोक जनशक्ति(लोजपा) की स्थापना की और हाजीपुर सीट से चुनाव लड़कर जीत गए.
2009 में फिर जदयू की इसी पर जीत हुई हालांकि यह आखिरी मौका था जब लोजपा के अलावा किसी दूसरी पार्टी ने हाजीपुर जीता हो. 2014 के चुनाव में हाजीपुर की जनता ने फिरसे लोजपा को जिताया, 2019 में भी लोजपा से पशुपति कुमार पारस (रामविलास पासवान के भाई) ने यह सीट जीती. इस चुनाव में अपने पिता की परंपरागत सीट हाजीपुर से चिराग पासवान दावेदारी ठोक रहे हैं.
लोजपा के संस्थापक रामविलास पासवान ने हाजीपुर सीट से ही जीत हासिल कर अपने राजनीतिक कैरियर को दिशा दी थी. बिहार की राजनीति में रामविलास पासवान को एक प्रमुख चेहरा माना जाता था. दलित और पिछड़ों के हक के लिए लड़ने वालों में रामविलास पासवान का नाम गिना जाता रहा है. आज उनका परिवार और पार्टी दोनों ही दो भाग में बट चुका है, एक तरफ जहां उनके भाई पशुपति पारस है तो दूसरी तरफ उनके बेटे चिराग पासवान एक ही सीट के लिए प्रतिस्पर्धा करते हुए नजर आ चुके हैं.
रामविलास पासवान का गढ़ हाजीपुर
पिछले आम चुनाव में लोजपा ने राजद को 2 लाख से ज्यादा वोटों से यहां पटखनी दी थी. लोजपा को पिछले आम चुनाव में 5,41,310 वोट मिले थे, वही राजद के उम्मीदवार को 3,35,861 वोट हासिल हुए थे. जबकि नोटा पर 25,256 लोगों ने भरोसा जताया था.
रामविलास पासवान के गढ़ माने जाने वाले हाजीपुर संसदीय क्षेत्र में यादव, राजपूत, भूमिहार, कुशवाहा, पासवान, रविदास की संख्या सबसे ज्यादा है. अति पिछड़ों की अच्छी संख्या चुनावी नतीजे में अच्छी भूमिका निभाती है.
20 मई को पांचवें चरण में हाजीपुर में मतदान होने हैं. इस सीट पर कुल पुरुष वोटरों की संख्या 5,18,835 है, जबकि महिला वोटरों की संख्या यहां 4,85,247 और थर्ड जेंडर वोटर यहां 4 है.
2024 के आम चुनाव में हाजीपुर सीट पर मोदी के हनुमान बनाम राजद का मुकाबला होगा. देखना दिलचस्प होगा की जमुई छोड़ पिता की सीट पर दावेदारी करने वाले युवा बिहारी राजद को पछाड़ पाते है या नहीं.