बिहार का झंझारपुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र 1971 में अस्तित्व में आया. लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र बनने के बाद पहली बार चुनाव में कांग्रेस के पंडित जगन्नाथ मिश्र को इस सीट से जीत मिली. इसके बाद 1977 में भारतीय लोक दल के धनिक लाल मंडल 1980 में जनता पार्टी (सेकुलर) से फिर से जीत हासिल की.
1984 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार गौरी शंकर राजहंस ने जीत दर्ज की. गौरी शंकर के बाद लगातार तीन बार जनता दल के देवेंद्र प्रसाद यादव का झंझारपुर सीट पर कब्जा रहा. 1998 में राजद के सुरेंद्र प्रसाद यादव ने झंझारपुर सीट हासिल की. 1998 के बाद लगातार तीन बार राजद का इस सीट पर कब्ज़ा रहा. लगभग 10 साल बाद इस सीट का राजनीतिक समीकरण बदला और 2009 के चुनाव में जनता दल यूनाइटेड की सरकार बनी. 2014 में मात्र एक बार भाजपा को झंझारपुर की सीट हासिल हुई है. 2019 के चुनाव में भी जदयू को ही यह सीट मिली थी. पिछले चुनाव में जदयू के रामप्रीत मंडल झंझारपुर सीट से सांसद बने थे.
झंझारपुर लोकसभा सीट मधुबनी जिले में
2019 के लोकसभा चुनाव में जदयू के रामप्रीत मंडल को 6 लाख से ज्यादा वोट मिले थे. वही राजद के उम्मीदवार गुलाब यादव को पिछले चुनाव में 2,79,440 वोट हासिल हुए थे. दोनों के बीच 3 लाख से ज्यादा वोटों का अंतर था.
इस सीट के बारे में भी माना जाता है कि यह ब्राह्मण, यादव और अति पिछड़े समुदाय के मतदाताओं का गढ़ है. झंझारपुर सीट पर 35% पिछड़े समुदाय के मतदाता है, मुस्लिम वोटरों की संख्या यहां 15 प्रतिशत, ब्राह्मण वोटरों की संख्या 20%, तो वही यादव मतदाताओं की संख्या भी 20% है. बाकी अन्य जातियों के वोटरों की संख्या झंझारपुर में 10% है.
इसी जातीय समीकरण को समझते हुए पार्टियां अपना-अपना उम्मीदवार तय करती हैं. झंझारपुर में ज्यादा यादवों का ही कब्जा रहा है, मंडल भी इस सीट पर अपनी पकड़ बनाए हुए देखे गए हैं. सबसे ज्यादा बार यह सीट पर पिछड़े समुदाय से आने वाले प्रत्याशियों के ही खाते में गई है.
झंझारपुर लोकसभा सीट मधुबनी जिले के अंतर्गत आता है. दरभंगा जिले का डिवीजन झंझारपुर है. 2011 की जनगणना के अनुसार जिले की आबादी 44,87,379 है. जिसमें पुरुषों की संख्या 23,29,313 है और महिलाओं की संख्या 21,58,066 है. इस बार झंझारपुर में वोटरों की कुल संख्या 18,24,987 है.