बिहार में आठ लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां पिछले तीन चुनाव से एक ही पार्टी का उम्मीदवार जीत रहा है. इन आठ में से 6 सीट भाजपा के पास है जहां दो चुनाव के बाद भाजपा ने जीत की हैट्रिक लगाई है.
इन हैट्रिक सीट में से भाजपा के खाते में बनी हुई दरभंगा, मधुबनी, पश्चिम चंपारण, पटना साहिब, पूर्वी चंपारण और शिवहर है. मोदी की लहर ने कांग्रेस पार्टी और क्षेत्रीय पार्टियों को बिहार के इन 6 जिलों से लगभग उखाड़ ही दिया है. पिछले चुनाव में मोदी की लहर ने बिहार के 39 सीटों पर जीत हासिल की थी, मात्र एक सीट पर कांग्रेस पार्टी ने जीत हासिल की थी. कांग्रेस ने किशनगंज सीट पर अपनी जीत की हैट्रिक लगाई थी. वहीं जदयू ने भी बिहार के नालंदा सीट पर लगातार पांच बार जीत हासिल की है.
इस बार के चुनाव में मधुबनी सीट पर भाजपा चौथी बार जीत हासिल करने के लिए तैयारी कर रही है. तालाब, मछली, मखाना और पान के लिए खास पहचान रखने वाले मधुबनी लोकसभा सीट (Madhubani loksabha seat) पर कई बार कांग्रेस पार्टी भी जीत हासिल कर चुकी है. शुरुआत के दो चुनाव में कांग्रेस ने मधुबनी सीट पर जीत हासिल की थी. 1952 से 1957 के चुनाव तक कांग्रेस पार्टी का यहां कब जा रहा था. 1962 और 1967 के चुनाव में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी ने मधुबनी सीट जीती. जिसके बाद 1971 के चुनाव में फिर से कांग्रेस पार्टी ने अपनी पुरानी सीट पर कब्जा जमाया.
मधुबनी उपचुनाव में कम्युनिस्ट पार्टी की जीत
1971 के बाद एक बार जनता पार्टी (1977) में मधुबनी सीट पर जीत हासिल की. इसके बाद कम्युनिस्ट पार्टी ने मधुबनी की जनता का भरोसा जीता. 1980 में कम्युनिस्ट पार्टी ने उपचुनाव में मधुबनी में जीत हासिल की. 1984 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी फिर से मधुबनी में आई. इसके बाद से लगातार तीन चुनाव में कम्युनिस्ट पार्टी को मधुबनी की जनता ने चुना. 1989 से 1996 तक कम्युनिस्ट पार्टी मधुबनी सीट पर जीत हासिल करती रही. उसके बाद भाजपा की यहां एंट्री हुई, 1999 के चुनाव में भाजपा मधुबनी में जीत हासिल करने में कामयाब रही. 2004 में आखिरी बार कांग्रेस की मधुबनी सीट पर जीत हुई. 2009 से लगातार तीन बार भाजपा मधुबनी में जीत रही है.
2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार अशोक कुमार यादव ने विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के उम्मीदवार बद्री कुमार को यहां से शिकस्त दी थी. 2019 के चुनावी परिणाम पर नजर डालें तो अशोक कुमार ने वीआईपी के उम्मीदवार को करीब 5 लाख वोटों से हराया था. अशोक कुमार को मधुबनी में 5,95,843 वोट मिले थे और वीआईपी उम्मीदवार को यहां 1,40,903 वोट मिले थे. 6,000 लोगों ने यहां नोटा बटन दबाया था.
मधुबनी में जातीय समीकरण ब्राह्मणों का ज्यादा है, इसके बाद यादवों, अति पिछड़ा समाज के लोग भी मधुबनी में लाखों की संख्या में है. वहीं दलित समुदाय भी मधुबनी में वोट बैंक के तौर पर देखा जाता है. 2011 के जनगणना के मुताबिक भारत-नेपाल बॉर्डर से जुड़े मधुबनी में कुल वोटरों की संख्या 13,972,567 है, जिसमें पुरुष वोटरों की संख्या 7,55,812 और महिला वोटरों की संख्या 64,144 है.