2009 में काराकाट लोकसभा क्षेत्र अस्तित्व में आया. 2008 के परिसीमन के बाद काराकाट लोकसभा बना, इससे पहले इस क्षेत्र का नाम बिक्रमगंज हुआ करता था. हर लोकसभा चुनाव में यह सीट चर्चा का विषय बनती है. इस लोकसभा चुनाव में भी काराकाट क्षेत्र पर खूब राजनीति होती हुई नजर आ रही है.
काराकाट में 2024 के आम चुनाव के लिए भोजपुरी सिंगर, एक्टर पवन सिंह ने भी निर्दलीय चुनाव लड़ने की ठानी है. रोहतास के काराकाट पर एक समय में सिर्फ दो ही गठबंधन के बीच मुकाबला होने वाला था, जिसमें एक तरफ से एनडीए के समर्थन वाली रालोसपा और महागठबंधन से भाकपा-माले अपने उम्मीदवार को उतार रही थी. लेकिन अब पवन सिंह के आने के बाद अब इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला होने वाला है.
रालोसपा से पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा को काराकाट की जिम्मेदारी फिरसे दी गई है. भाकपा-माले की तरफ से राजाराम सिंह उम्मीदवार बनाए गए हैं.
पिछले तीन लोकसभा चुनाव पर नजर डालें तो शुरुआत से ही यहां कुशवाहा उम्मीदवारों का वर्चस्व देखा गया है. 2009 के चुनाव में महाबली कुशवाहा जनता दल यूनाइटेड(जदयू) यहां जीत गए थे, 2014 के चुनाव में उपेंद्र कुशवाहा ने यहां जीत हासिल की थी. 2019 में फिर से महाबली कुशवाहा जदयू के टिकट पर चुनाव लड़कर जीते गए और इस चुनाव में एनडीए में शामिल हुए उपेंद्र कुशवाहा फिर से यहां उतारने के लिए तैयार है. पिछले चुनाव में महाबली कुशवाहा ने उपेंद्र कुशवाहा को 84,542 वोटों से काराकाट में मात दी थी.
महाबली कुशवाहा को काराकाट में 3,98,408 वोट हासिल हुए थे, जबकि उपेन्द्र कुशवाहा को 3,13,866 लोगों ने वोट दिया था. इसके बाद नोटा बटन को 22,104 लोगों ने दबाया था, वहीं बसपा उम्मीदवार राम नारायण तिवारी को 21,715 लोगों ने वोट दिया था.
काराकाट में पुरुष वोटरों की संख्या 4,83,732 है, महिला वोटरों की संख्या यहां 3,80,773 और थर्ड जेंडर वोटरों की संख्या 2 है.