त्रेता युग से जुड़ा हुआ सीतामढ़ी, माता सीता की नगरी के रूप में दुनिया भर में प्रसिद्ध है, नेपाल से सीमा साझा करने वाला सीतामढ़ी 1972 में मुजफ्फरपुर से अलग होकर नए जिले के रूप में बना.
2019 के लोकसभा चुनाव में राजद के उम्मीदवार अर्जुन राय को जदयू उम्मीदवार सुनील कुमार पिंटू ने हराया था. पिछले चुनाव में 2,50,000 से ज्यादा वोटो से पिंटू ने अर्जुन राय को मात दी थी. जदयू उम्मीदवार को यहां पिछले चुनाव में 5,67,745 वोट मिले थे, जबकि राजद उम्मीदवार को 3,17,206 वोट हासिल हुए थे.
1957 में सीतामढ़ी सीट का गठन हुआ, जिसके बाद इमरजेंसी से पहले तक कांग्रेस ने यहां तीन बार जीत हासिल की. वही इमरजेंसी खत्म होने के बाद कांग्रेस सिर्फ एक बार सीतामढ़ी सीट को हासिल कर पाई. हालांकि पहले चुनाव में यहां से पीएसपी ने जीत हासिल की. उसके बाद तीन टर्म तक कांग्रेस पार्टी सीतामढ़ी में जीतती रही. 1977 के चुनाव में जनता पार्टी सीतामढ़ी सीट साधने में सफल रही. 1980 और 1984 के चुनाव में कांग्रेस से फिर से सीट पर वापस आई, 1989 के चुनाव में जनता दल पहली बार सीतामढ़ी में जीती. उसके बाद से लगातार तीन टर्म तक जनता दल का ही यहां दबदबा रहा. 1998 के चुनाव में राजद पार्टी की सीतामढ़ी में एंट्री हुई. 1999 में फिर से सीतामढ़ी की जनता ने जदयू को वोट दिया, 2004 में राजद यहां जीत हासिल करने में सफल रही. उसके बाद जदयू 2009, राष्ट्रीय लोक जनता पार्टी 2014 और जदयू 2019 से सीतामढ़ी में बनी हुई है.
इन सभी चुनावों में आज तक एक बार भी भाजपा ने यहां सीधे जीत हासिल नहीं की है. मोदी के लहर में गठबंधन के जरीय सीतामढ़ी सीट जदयू के खाते में गई थी. इस चुनाव में महागठबंधन के तहत यह सीट राजद और एनडीए से जदयू के खाते में गई है.
मां सीता की नगरी की जनसंख्या कुल 34,23,574 है, जिसमें से 18,03,252 पुरुष और 16,20,322 महिलाएं हैं. सीतामढ़ी लोकसभा क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या 15,74,914 है, जिसमें से 8,32,370 पुरुष और 7,42,554 महिला मतदाता है. थर्ड जेंडर मतदाताओं की संख्या सीतामढ़ी में 56 है.