बिहार में छठे चरण में पश्चिमी चंपारण लोकसभा सीट पर वोटिंग होनी है. बिहार के 40 लोकसभा क्षेत्र में से एक पश्चिमी चंपारण महात्मा गांधी के सत्याग्रह की भूमि के नाम से मशहूर है. 2008 के परिसीमन के बाद पश्चिम चंपारण लोकसभा क्षेत्र का गठन हुआ, तब से इस सीट पर तीन बार चुनाव हुए हैं, जिसमें अब तक सिर्फ भाजपा की लहर देखी गई है. 2009 से 15 साल तक भाजपा के एक ही संसद ने पश्चिमी चंपारण सीट पर कब्जा जमाया हुआ है.
2009 में पहली बार जब इस सीट पर चुनाव हुए तब भाजपा के उम्मीदवार डॉक्टर संजय जायसवाल ने लोजपा उम्मीदवार प्रकाश झा को यहां करीब 50 हजार वोटों से हराया था. 2014 के आम चुनाव में संजय जायसवाल ने इसी सीट पर जदयू के उम्मीदवार को डेढ़ लाख वोटों से हराया था.
पहले लोजपा में शामिल प्रकाश झा 2014 के चुनाव में जदयू के उम्मीदवार बने. हालांकि इस चुनाव में भी भाजपा ने ही बाजी मारी और जदयू को हार का सामना करना पड़ा. बीते 2019 के आम चुनाव में भाजपा ने रालोसपा के उम्मीदवार को पश्चिम चंपारण में तीन लाख वोटों से मात दी.
पिछले आम चुनाव में संजय जायसवाल को 6,03,706 वोट मिले थे, वही रालोसपा के उम्मीदवार बृजेश कुमार कुशवाहा को 3,09,800 वोट मिले थे. नोटा पर पश्चिम चंपारण के 45,699 लोगों ने भरोसा जताया था.
पश्चिम चंपारण सीट पर मोदी लहर से पहले ही भाजपा उम्मीदवार ने जीत हासिल की. यहां भाजपा ने बिना किसी गठबंधन के भी जीत हासिल करने में कमयाब रही है.
2024 के लोकसभा चुनाव में पश्चिमी चंपारण में 26,78,418 वोटर है, जिसमें महिला मतदाताओं की संख्या 12,57,097 है और पुरुष मतदाताओं की संख्या 14,21,321 है.
इस लोकसभा चुनाव में भी एनडीए गठबंधन ने भाजपा उम्मीदवार संजय जायसवाल को ही इस सीट से उतारने का निर्णय लिया है. लगातार तीन बार भाजपा की झोली में संजय ने पश्चिम चंपारण डाला है .इस चुनाव में भी भाजपा का ही जादू यहां चलता है या फिर विपक्षी दल और निर्दलीय यहां जीत कायम करता है, यह 5 जून को पता लग पाएगा.