Loksabha Election 2024: बांका के चुनावी समीकरण में कोई बदलाव नहीं, JDU इस सीट से फिर लड़ेगी चुनाव

1952 के आम चुनाव में बांका अस्तित्व में नहीं था, 1957 में इस लोकसभा सीट का गठन किया गया. 1957 में जिले में महिला उम्मीदवार शकुंतला देवी को जीत हासिल हुई थी.

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बांका में जनता दल यूनाइटेड

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बांका लोकसभा क्षेत्र इस चुनाव में भी जदयू के खाते में गया है. 2019 के लोकसभा चुनाव में जदयू के गिरधारी यादव बांका से चुने गए थे. गिरधारी यादव को इस सीट से 4,77,788 वोट मिले थे. गिरधारी यादव ने राजद के जयप्रकाश नारायण को 2 लाख वोटो से कड़ी शिकस्त दी थी. वही 2019 के चुनाव में पुतुल कुमारी और मनोज कुमार शाह निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में खड़े हुए थे, जिसमें पुतुल कुमारी को एक लाख से ज्यादा वोट मिले थे. वहीं उस चुनाव में मनोज कुमार शाह को 44,398 वोट मिले थे.

बांका का सियासी ढांचा समझते है. 1952 के आम चुनाव में बांका अस्तित्व में नहीं था, 1957 में बांका लोकसभा सीट का गठन किया गया. झारखंड और भागलपुर से लगने वाली बांका की सीमा जंगलों से घिरी हुई है. मंदार पर्वत के लिए प्रसिद्ध बांका लोकसभा क्षेत्र को जेपी आंदोलन के बाद से समाजवादियों का बड़ा गढ़ माना जाता रहा है. इस सीट से बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय चंद्रशेखर सिंह, उनकी पत्नी मनोरमा सिंह, मधु लिमये, स्वर्गीय दिग्विजय सिंह ने सियासी खेल खेला है. इनमें ज्यादातर नाम समाजवादी विचारधारा के लोगों का रहा है.

1548 मतदान केंद्रों पर डाले जाएंगे वोट

दूसरे चरण में बांका लोकसभा पर 26 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे. 6 विधानसभा सीटों वाला बांका लोकसभा में एनडीए की स्थिति खासी मजबूत देखी गई है. इसी को देखते हुए एनडीए ने इस सीट पर फिर से जदयू को ही मौका दिया है. हालांकि राजद ने भी इस सीट पर चुनाव लड़ने का मन बनाया है.

2024 के आम चुनाव में बांका में 1548 मतदान केन्द्रों पर वोट डाले जाएंगे. बांका के कुल वोटरों की संख्या 16,99,394 है. जिसमें से पुरुष वोटरों की संख्या 7,95,885 है और महिला वोटरों की संख्या 9,03,490 है. वही थर्ड जेंडर वोटरों की संख्या 19 है. बांका में महिला वोटरों की संख्या पुरुषों के मुकाबले एक लाख से ज्यादा है. 

इस लोकसभा क्षेत्र में यादव और राजपूत मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा बताई जाती है. सबसे ज्यादा सांसद भी इन्हें दोनों जातियों के इस क्षेत्र में रहे चुके हैं. दिग्गज नेता जार्ज फर्नांडिस ने भी बांका सीट से दो बार चुनावी किस्मत आजमाई थी, लेकिन दोनों ही बार उन्हें हार मिली.

1957 के चुनाव में बांका जिले में महिला उम्मीदवार शकुंतला देवी को जीत हासिल हुई थी, जो देश भर के चुनाव में चुनिंदा सीटों में से एक था. कांग्रेस की शकुंतला देवी बांका से दो बार सांसद रह चुकी हैं. 1967 में भारतीय जनसंघ की उम्मीदवार बेनी शंकर शर्मा, 1971 में कांग्रेस के शिवचंद्रिका प्रसाद बांका सीट से सांसद रह चुके हैं. इसके बाद 1977 में मधु लिमये ने सोशलिस्ट पार्टी और जनता पार्टी के साथ जीत हासिल की. लेकिन इसके बाद से लगातार चार चुनावों में कांग्रेस को जीत हासिल हुई थी. 

कांग्रेस के इस विजयरथ को जनता दल के उम्मीदवार ने 1989 में रोका. 1991 के चुनाव में भी जदयू को यहां से जीत मिली. इसके बाद समता पार्टी, जनता दल यूनाइटेड, राष्ट्रीय जनता दल, निर्दलीय उम्मीदवारों और फिरसे जनता दल यूनाइटेड को जीत मिली. 

राजपूत भूमिहारों का गढ़ कहे जाने वाले बांका में महादलित, मुस्लिम और अति पिछड़ा वोटरों के भी वोट अहम फैक्टर निभाते हैं.

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