झारखंड में बढ़ा कुपोषण का स्तर, महिलाओं और बच्चों की स्थिति चिंताजनक

कुपोषण एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 की रिपोर्ट के अनुसार झारखंड में 65% महिलाएं एनीमिया से ग्रस्त हैं. राज्य में लगभग 48% बच्चे कुपोषण का शिकार हैं.

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झारखंड में कुपोषण

झारखंड में कुपोषण का स्तर बढ़ा

साल 2011 की जनगणना के अनुसार झारखंड राज्य की आबादी 3.29 करोड़ है. जिसमें से 40% से ज़्यादा आबादी गरीबी रेखा के नीचे रहती है. इनमें आदिवासी और पिछड़े तबके के लोग ज़्यादा हैं. पिछले 10 सालों में जनसंख्या वृद्धि का कोई नया सरकारी आंकड़ा मौजूद नहीं होने के कारण बहुत सारे पिछड़े परिवार सरकारी योजनाओं का लाभ लेने से वंचित हो जा रहे हैं.

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नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 की रिपोर्ट के अनुसार झारखंड में 65% महिलाएं एनीमिया से ग्रस्त हैं. झारखंड में कुपोषण एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है. राज्य में लगभग 48% बच्चे कुपोषण का शिकार हैं. झारखंड के सुदूर ग्रामीण और जंगल के इलाकों में रहने वाले लोग कुपोषित ही हैं, मगर छोटी उम्र के बच्चों की स्थिति बहुत ख़राब है.

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 के अनुसार झारखंड में 5 साल से कम उम्र के 39% बच्चे उम्र के हिसाब से कम वजन के शिकार हैं. वहीं 22% बच्चों का वजन (Wasting) उनके कद के अनुरूप नहीं है. 9% बच्चों का वजन गंभीर (severe wasting) रूप से कम है जबकि 40% बच्चों का कद (stunting) उनके उम्र के हिसाब से बहुत कम है.

केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW CNNS) 2016-17 के रिपोर्ट के अनुसार झारखंड में 5 वर्ष से कम उम्रे के 6.7% बच्चे गंभीर रूप से कुपोषित (SAM) हैं. वहीं 2016-18 के रिपोर्ट के अनुसार बिहार, झारखंड और मध्यप्रदेश के 50% से ज्यादा किशोर (adolescent) अत्यंत गरीब परिवारों से आते हैं.

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