1 जुलाई से देशभर में तीन नए आपराधिक कानून लागू हो गए हैं. सोमवार से 51 साल पुराने सीआरपीसी की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता(BNSS) लागू हुआ है. इसके साथ ही भारतीय दंड संहिता(आईपीसी) की जगह अब भारतीय न्याय अधिनियम (BNS) और इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम(BSA) लगेगा.
1 जुलाई से पहले दर्ज हुए आपराधिक मामलों पर यह नया कानून लागू नहीं होगा. यानी 1 जुलाई 2024 से दर्ज होने वाले मामलों पर नए कानून लागू होंगे, जिसमें जांच से लेकर ट्रायल तक में नया कानून लागू होगा. नए कानून के तहत एफआईआर होगी और इसी के अनुसार जांच से लेकर ट्रायल पूरा होगा.
BNSS में कुल 531 धाराओं को शामिल किया गया, जिसमें से 177 प्रावधानों में संशोधन किया गया है. जबकि 14 धाराओं को हटा भी दिया गया है. 9 नई धाराएं और 39 उप धाराएं इसमें जोड़ी गई है. इसके पहले सीआरपीसी में 484 धाराएं शामिल थी. नए लागू हुए भारतीय न्याय संहिता में 357 धारा शामिल है. पहले आईपीसी में 511 धाराएं थी.
भारतीय साक्ष्य अधिनियम में 170 धाराएं हैं. नए कानून में इनमें से 6 धाराओं को हटा दिया गया है. दो नई धारा और 6 धाराओं को इसमें जोड़ा गया है. पहले इंडियन एविडेंस एक्ट में कुल 167 धारा शामिल थी.
नए कानून में सबसे बड़ी बात एफआईआर दर्ज को लेकर की गई है, जिसमें कोई भी नागरिक अपराध के सिलसिले में कहीं भी जीरो एफआईआर दर्ज कर सकेगा. इसके बाद जांच के लिए मामले को संबंधित थाने में भेजा जा सकेगा. जीरो एफआईआर में 3 से 7 साल की सजा का प्रावधान है तो फॉरेंसिक जांच अनिवार्य है.
नए कानून में हत्या, लूट, रेप जैसे गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज हो सकेगी. वॉइस रिकॉर्डिंग से भी पुलिस को घटना की सूचना दी जा सकेगी. वॉइस एफआईआर में फरियादी को 3 दिन के भीतर थाने पहुंचकर एफआईआर की कॉपी पर साइन करना अनिवार्य होगा. इसके बाद 90 दिन के भीतर चार्टशीट दाखिल करना जरूरी होगा. मामले की सुनवाई पूरी होने तक 30 दिन के अंदर जजमेंट देना होगा और जजमेंट की कॉपी 7 दिनों के भीतर मुहैया करानी होगी.
दुष्कर्म पीड़िता के बयान को कोई महिला पुलिस अधिकारी, उसके अभिभावक या रिश्तेदार की मौजूदगी में दर्ज कराया जाएगा और मेडिकल रिपोर्ट 7 दिन के भीतर शामिल करनी होगी. महिला और बच्चों के खिलाफ अपराध पर एक नया अध्याय भी जोड़ा गया है. किसी बच्चे को खरीदना और बेचना जघन्य अपराध बनाया गया है. इसके साथ ही किसी नाबालिक से दुष्कर्म के लिए मृत्युदंड या उम्रकैद का प्रावधान लाया गया है.
भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, भारतीय दंड संहिता 1860, दंड प्रक्रिया संहिता 1973 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 की आज से जगह ले चुका है. इसमें शादी का वादा देकर धोखा देने के मामले में 10 साल तक की जेल. नस्लीय, जाति, समुदायिक, लिंग के आधार पर मॉब लिंचिंग के मामले में आजीवन कारावास. छिनतई जैसे मामलों में 3 साल की सजा का प्रावधान भी शामिल किया गया है.
नए कानून में टेक्नोलॉजी का भी ज्यादा इस्तेमाल किया जाएगा, इसमें खोज, रिकॉर्डिंग, सभी पूछताछ और सुनवाई ऑनलाइन मोड में ही कराई जाएगी. साथ ही अब सिर्फ मौत की सजा पाए दोषी ही दया याचिका दाखिल कर सकेंगे. इसके पहले एनजीओ या सिविल सोसाइटी ग्रुप भी दोषियों के लिए दया याचिका दायर करते थे.