बिहार में लाखों लोग बाढ़ का दंश झेल रहे हैं. राज्य के 16 जिले बाढ़ से ग्रस्त है. नए इलाकों में भी बाढ़ का पानी फैलने की संभावना जताई जा रही है. कई जगहों पर नदियों के तटबंध टूटने से यह खतरा और बढ़ रहा है. मगर इस बीच बिहार में सियासत की रोटियां ताबड़तोड़ सेंकीं जा रही है. राज्य में बाढ़ की स्थिति के बीच खूब आरोप-प्रत्यारोपों का सिलसिला पक्ष-विपक्ष में चल रहा है. मगर हद तो अब हो गई जब नीतीश कुमार के खास मंत्री अपने ही सरकार पर लापरवाही जैसी बात खुलेआम कर रहे हैं.
बुधवार को बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी के नए बयानों से एक बार फिर खबरें बनने लगी है. दरअसल मंत्री अशोक चौधरी ने आज कह दिया कि जल संसाधन विभाग अगर और ज्यादा सतर्क होता तो कई जगहों पर तटबंधों को टूटने से बचाया जा सकता था.
सीएम कुमार के खास मंत्री श्री चौधरी ने आगे कहा कि बाढ़ अंतिम समय में आया है और इसलिए हमें लगता है कि लोगों ने मान लिया था कि बिहार में बाढ़ नहीं आएगी. यही कारण है कि 56 साल के बाद अब कोसी में इतना पानी भर गया है कि कई जगहों पर तटबंध टूट गए हैं. हालांकि सरकार इसमें लोगों की मदद कर रही है. राहत सामग्री पहुंचाई जा रही हैं और राहत कैंप भी बनाए गए हैं. सीएम खुद बाढ़ पीड़ितों की सहायता की मॉनीटरिंग कर रहे हैं.
अपने बयानों में उन्होंने सरकार को घेरते हुए जल संसाधन विभाग के कार्यशैली पर कहीं ना कहीं सवाल खड़ा कर दिया है.
उन्होंने आगे कहा कि सूबे में आई बाढ़ को लेकर केंद्र सरकार लगातार मदद कर रही है. सीएम अपने राहत कोष से बाढ़ पीड़ितों को पैसे देने का भी काम करेंगे. सात-सात हजार रुपए का मुआवजा जल्द ही बाढ़ पीड़ितों के अकाउंट में भेजा जाएगा.