मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को शराबबंदी के प्रभाव पर अध्ययन करने का निर्णय लिया है. 7 साल पहले बिहार में शराबबंदी कानून को लागू किया गया था. रविवार को नशा मुक्ति दिवस के मौके पर आयोजित एक सरकारी समारोह में मुख्यमंत्री ने इस बात की इच्छा जाहिर की है.
राज्य में हुए जातीय सर्वे के बाद अब मुख्यमंत्री का यह फैसला शराबबंदी के सर्वे को लेकर आया है. मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को इसके लिए निर्देश दिए हैं. सर्वे के लिए खर्च राज्य सरकार उठाने वाली है. मुख्यमंत्री ने शराबबंदी सर्वे के लिए राज्य के एक-एक कर तक जाने का निर्देश दिया है. इसके साथ ही नीतीश कुमार ने साफ़ तौर पर कहा कि राज्य में शराबबंदी जारी रहेगी, चाहे कुछ भी हो जाए.
एक करोड़ 82 लाख लोगों ने शराब पीना बंद किया
मुख्यमंत्री ने बताया कि शराबबंदी कानून लागू होने के बाद से अब तक राज्य में कितने लोगों ने शराब छोड़ी है, और कितने लोग शराब बंदी के पक्ष और विपक्ष में हैं इसका पता इस अध्ययन से लगाया जाएगा. शराबबंदी अध्ययन में सामाजिक और आर्थिक प्रभाव की भी जानकारी ली जाएगी. शहरों और गांव के इलाके में परिवार और समाज पर शराबबंदी का कैसा असर रहा इन सब चीजों को लेकर पूरी रिपोर्ट तैयार कराई जाएगी.
मुख्यमंत्री ने यहां अपने अनुभव को याद करते हुए बताया है कि जिस जगह पर मैंने जन्म लिया था, वह बुराइयों से मुक्त था. लेकिन जब मैं पटना में इंजीनियरिंग डिग्री लेने के लिए आया तो किराए के मकान में रहता था. जहां पड़ोस में कुछ लोग शराब पीते और उपद्र करते थे.
मुख्यमंत्री ने बताया कि उन्होंने 2018 के सर्वेक्षण में पाया कि एक करोड़ 64 लाख लोगों ने शराब पीना छोड़ दिया है. साल 2023 के सर्वे में पता चला कि एक करोड़ 82 लाख लोगों ने शराब पीना छोड़ दिया है. सर्वेक्षण में यह बात भी सामने आई कि राज्य में 99% महिलाएं और 92% पुरुष शराबबंदी के पक्ष में हैं.