देशभर में मंगलवार 4 जून को वोटों की गिनती जारी है. वोटों की गिनती के साथ एक बात साफ़ हो गयी है कि बीजेपी के 400 पार वाला नारा फेल हो गया है. बीजेपी को सबसे ज्यादा नुकसान हिंदी पट्टी के क्षेत्रों में हो रहा है. चुनाव के शुरुआत में विपक्ष की कई नेता अपनी पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गये थे.
लेकिन चुनावी नतीजे बता रहे हैं कि जनता इससे ज्यादा खुश नहीं है. इंदौर लोकसभा सीट इसका सबसे बड़ा उदाहरण बनके सामने आया है. यहां नॉमिनेशन वापस लेने के आखिरी दिन कांग्रेस नेता अक्षय कांति बम ने नामांकन वापस ले लिया था. इसके तुरंत बाद वे बीजेपी में शामिल हो गये थे.
इसके बाद कांग्रेस ने जनता से नोटा पर बटन दबाने की अपील की थी. सात राउंड की गणना के बाद यह साफ़ हो रहा है कि कांग्रेस मैदान से बहार होने के बाद भी इंदौर सीट पर मैदान में हैं. सात राउंड की गणना के बाद इंदौर में नोटा को 1,27,277 वोटों से ज्यादा वोट मिल चुके हैं. यह आगे और बढ़ सकता है.
अबतक नोटा को सबसे अधिक वोट का रिकॉर्ड बिहार के गोपालगंज लोकसभा सीट के पास था. 2019 के लोकसभा चुनाव में गोपालगंज में 51,660 वोट नोटा को मिले थे.
इंदौर में लालवानी की बड़ी जीत
NOTA के साथ इंदौर में एक और रिकॉर्ड बन गया है. यहां बीजेपी ने अपन पिछला रिकॉर्ड तोड़ते हुए 10.76 लाख से ज्यादा वोट मिल चुके हैं. जबकि पिछली बार 10.68 लाख वोट मिले थे.
वहीं बीजेपी के शंकर लालवानी ने भी नया रिकॉर्ड बना दिया है. शंकर लालवानी ने लगभग नौ लाख वोटों के अंतर से जीत दर्ज कर रहे हैं. इससे पहले इतनी बड़ी जीत का रिकॉर्ड बीजेपी के सीआर पाटिल के पास था. पाटिल ने 2019 लोकसभा चुनाव में गुजरात के नवसार सीट से 6.90 लाख वोटों से जीत हासिल किये थे.
चुनाव आयोग के अनुसार दोपहर 12 बजे तक भाजपा को 236, कांग्रेस को 99, सपा को 34, टीएमसी को 30, डीएमके को 21, टीडीपी को 16, जेडीयू को 14, शिवसेना यूटीबी को 11, एनसीपी शरद पवार को 8, राजद को 5 और लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास को 5, शिवसेना शिंदे को 5 सीटें मिल रही हैं.