बिहार के बड़े अस्पतालों में पटना के आईजीआईएमएस अस्पताल की भी गिनती होती है. कुछ दिनों पहले ही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने अस्पताल में नेत्र अस्पताल का उद्घाटन किया था. आइजीआइएमएस अस्पताल जेपी नड्डा के कार्यक्रम के बाद महिला डॉक्टर की सुरक्षा को लेकर सुर्खियों में बन गया है. अस्पताल के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग के दो रेजिडेंट डॉक्टरों ने विभागाध्यक्ष पर मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न का आरोप लगाया है. विभागाध्यक्ष डॉक्टर नीरू गोयल पर रेजिडेंट डॉक्टर ने सबके सामने उठक-बैठक करने का आरोप लगाया है. इसे लेकर रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन को ईमेल से शिकायत भेजी है. साथ ही निदेशक और चिकित्सा अधीक्षक-वन को व्हाट्सएप पर भी घटना की जानकारी दी.
जानकारी के मुताबिक पूरी घटना 4 सितंबर की है. शिकायत के बाद निदेशक एवं चिकित्सा अधीक्षक ने जांच के लिए छह सदस्यीय कमेटी का गठन किया. विभागाध्यक्ष ने अपनी गलती स्वीकारते हुए कमेटी के सामने माफी मांगी है. मंगलवार को इसे लेकर बैठक का आयोजन हुआ, जिसमें छात्रों ने गाइड और परीक्षक को हटाए जाने की मांग रखी. इसे समिति ने मान लिया है.
दरअसल विभागाध्यक्ष ने मरीज, परिजन और डॉक्टरों की मौजूदगी में दोनों रेजिडेंट डॉक्टर से उठक-बैठक कर कराया था. इसकी शिकायत मिलने के बाद अस्पताल प्रशासन में हड़कंप मच गया. मेडिकल सुपरिंटेंडेंट और डॉक्टर मनीष मंडल ने बताया कि विभागाध्यक्ष ने एक मरीज का हर घंटे बीपी चेक करने कहा था. मगर डॉक्टर ने ऐसा नहीं किया, जिस पर विभागाध्यक्ष भड़क गई और दोनों को सबके सामने उठक-बैठक करवाई. इस पर डॉक्टर नीरू गोयल ने कहा कि दोनों छात्राएं अच्छी हैं. जब मुझे मेरी गलती का एहसास हुआ तो मैं उनसे संपर्क करने की कोशिश की. लेकिन उनका फोन बंद था.
एनएमसी की गाइडलाइन के मुताबिक मेडिकल छात्रों के खिलाफ हिंसा के किसी भी घटना की कॉलेज प्रबंधन तुरंत जांच करेगा और पुलिस प्राथमिकी भी दर्ज होगी. हिंसा के किसी भी घटना पर विस्तृत कार्रवाई रिपोर्ट जरूरी है, जो 48 घंटे के भीतर एनएमसी को भेजें जानी होगी.