बिहार में एक समय में पकड़ुआ शादी का सिलसिला चला हुआ था. किसी भी लड़के को उठाकर लड़की से उसकी जबरन शादी करवा दी जाती थी. राज्य में इस तरह की शादी दहेज से बचने के लिए सहारे के तौर पर कराई जा रही थी.
पटना हाई कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए एक बड़ा फैसला सुनाया है. गुरुवार को पटना हाई कोर्ट ने कहा है कि जबरदस्ती किसी की मांग में सिंदूर भरवाना हिंदू विवाह अधिनियम के तहत शादी नहीं है. कोर्ट ने कहा है कि यह किसी भी तरह से ऐक्षिक नहीं है.
30 जून 2013 को दुल्हन के परिवार वालों ने अपहरण करके शादी करवाई थी
मामला 10 साल पहले का है. राज्य में एक भारतीय सेना के जवान का जबरदस्ती अपहरण कर लिया गया था, और बंदूक के नोक पर एक महिला से उसकी शादी करने के लिए उसे मजबूर कर दिया था. नवादा जिले के मूल निवासी रविकांत का 30 जून 2013 को दुल्हन के परिवार ने अपहरण कर शादी करवा दी थी. शादी के बाद दुल्हन के घर से रविकांत भाग गए. जिसके बाद वह ड्यूटी के लिए जम्मू कश्मीर चला गया. छुट्टी के बाद रविकांत ने कोर्ट में अपनी शादी को रद्द करने के लिए अर्जी डाली.
मामले पर परिवार अदालत ने 2020 में जनवरी महीने में याचिका को खारिज कर दिया था. जिसके बाद याचिकाकर्ता ने पटना हाईकोर्ट में दायर किया था.
पटना हाई कोर्ट के जस्टिस पी वी बंजथरी और न्यायमूर्ति अरुण कुमार झा की पीठ ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का उदहारण देते हुए कहा कि हिंदू विवाह में अग्नि के सात फेरे लेना जरुरी है.