पटना हाईकोर्ट की विधवा महिला को लेकर की गई टिप्पणी सुर्खियों में आ गई है. हाईकोर्ट के टिप्पणी को सुप्रीम कोर्ट ने अपमानजनक बताया है. दरअसल पटना हाईकोर्ट ने कहा था कि विधवा को मेकअप करने की जरूरत नहीं होती. इस पर शीर्ष अदालत ने हाईकोर्ट पर सवाल उठाया है.
सुप्रीम कोर्ट सात आरोपियों के अपील पर सुनवाई कर रहा था. इस अपील पर ट्रायल कोर्ट और पटना हाईकोर्ट ने संपत्ति विवाद में महिला के अपहरण और हत्या के मामले में दोषी ठहराया. मगर सुप्रीम कोर्ट ने सभी सात लोगों को इस आधार पर बरी कर दिया कि अभियोजन पक्ष की कहानी अस्थिर है.
इस मामले में कोर्ट द्वारा उठाए गए मुद्दों में से एक यह भी था कि क्या महिला उस संपत्ति में रहती थी जहां घटना हुई. मृतक से संबंधित गवाहों ने कहा कि घटना के समय वह घर में रहती थी. जांच में पुलिस ने यह पाया गया कि घर के एक हिस्से में एक और महिला रहती थी, वहां से मेकअप के समान भी मिले थे. पटना हाईकोर्ट ने इस पर कहा कि मेकअप का सामान महिला का नहीं हो सकता क्योंकि वह विधवा थी, उसे मेकअप करने की कोई जरूरत नहीं थी.
हाईकोर्ट के बयान पर आपत्ति जताते हुए जस्टिस बेला त्रिवेदी और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने कहा कि हमारी राय में हाईकोर्ट का अवलोकन ना केवल कानूनी रूप से अस्थिर है बल्कि अत्यधिक अपमानजनक भी है. इस तरह का व्यापक अवलोकन कानून की अदालत से अपेक्षित संवेदनशीलता और तटस्थता के अनुरूप नहीं है. खास तौर पर तब जब रिकॉर्ड पर किसी भी साक्ष्य ऐसा नहीं किया जाता है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मामला अगस्त 1985 का है. घटना मुंगेर जिले की है जहां कथित तौर पर महिला के पति के घर पर कब्जा करने के लिए उसका अपहरण किया गया. बाद में उसकी हत्या कर दी गई. हाईकोर्ट ने इस मामले में पांच लोगों को दोषी ठहराया था और अन्य दो आरोपियों को बरी करने के फैसले को भी खारिज किया था. इसके पहले ट्रायल कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया था.
पटना HC की टिप्पणी- विधवा महिलाओं को मेकअप की जरूरत नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने कहा अपमानजनक
पटना हाईकोर्ट ने कहा कि विधवा को मेकअप करने की जरूरत नहीं होती. इस पर शीर्ष अदालत ने आपत्ति जारी करते हुए बयान को अत्यधिक अपमानजनक बताया है.
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पटना हाईकोर्ट की विधवा महिला को लेकर की गई टिप्पणी सुर्खियों में आ गई है. हाईकोर्ट के टिप्पणी को सुप्रीम कोर्ट ने अपमानजनक बताया है. दरअसल पटना हाईकोर्ट ने कहा था कि विधवा को मेकअप करने की जरूरत नहीं होती. इस पर शीर्ष अदालत ने हाईकोर्ट पर सवाल उठाया है.
सुप्रीम कोर्ट सात आरोपियों के अपील पर सुनवाई कर रहा था. इस अपील पर ट्रायल कोर्ट और पटना हाईकोर्ट ने संपत्ति विवाद में महिला के अपहरण और हत्या के मामले में दोषी ठहराया. मगर सुप्रीम कोर्ट ने सभी सात लोगों को इस आधार पर बरी कर दिया कि अभियोजन पक्ष की कहानी अस्थिर है.
इस मामले में कोर्ट द्वारा उठाए गए मुद्दों में से एक यह भी था कि क्या महिला उस संपत्ति में रहती थी जहां घटना हुई. मृतक से संबंधित गवाहों ने कहा कि घटना के समय वह घर में रहती थी. जांच में पुलिस ने यह पाया गया कि घर के एक हिस्से में एक और महिला रहती थी, वहां से मेकअप के समान भी मिले थे. पटना हाईकोर्ट ने इस पर कहा कि मेकअप का सामान महिला का नहीं हो सकता क्योंकि वह विधवा थी, उसे मेकअप करने की कोई जरूरत नहीं थी.
हाईकोर्ट के बयान पर आपत्ति जताते हुए जस्टिस बेला त्रिवेदी और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने कहा कि हमारी राय में हाईकोर्ट का अवलोकन ना केवल कानूनी रूप से अस्थिर है बल्कि अत्यधिक अपमानजनक भी है. इस तरह का व्यापक अवलोकन कानून की अदालत से अपेक्षित संवेदनशीलता और तटस्थता के अनुरूप नहीं है. खास तौर पर तब जब रिकॉर्ड पर किसी भी साक्ष्य ऐसा नहीं किया जाता है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मामला अगस्त 1985 का है. घटना मुंगेर जिले की है जहां कथित तौर पर महिला के पति के घर पर कब्जा करने के लिए उसका अपहरण किया गया. बाद में उसकी हत्या कर दी गई. हाईकोर्ट ने इस मामले में पांच लोगों को दोषी ठहराया था और अन्य दो आरोपियों को बरी करने के फैसले को भी खारिज किया था. इसके पहले ट्रायल कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया था.