बिहार में शराबबंदी और अन्य कानून के तहत जब्त किए गए वाहनों के मामले में पटना हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला लिया है. हाईकोर्ट ने इस मामले में पुलिस को दिशा-निर्देश जारी करने का आदेश दे दिया है. इसके साथ ही वाहन मालिकों को अनावश्यक रूप से परेशान करने के लिए पुलिस पर 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है.
सोमवार को न्यायाधीश पीबी बजन्थरी और न्यायाधीश एसबीपी सिंह की खंडपीठ ने संतोष सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए गृह विभाग को 6 महीने के भीतर इस मुद्दे पर विचार-विमर्श कर उच्च दिशा निर्देश जारी करने का आदेश दिया है.
याचिकाकर्ता संतोष सिंह ने अपनी बजाज प्लेटिना मोटरसाइकिल को मुक्त करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि केस के जांच अधिकारी ने कानून की जानकारी के बिना गंभीर कदाचार किया है. वाहन को जब्त कर उसे एक वर्ष से अधिक समय तक पुलिस ने अपने पास रखा. इसके अलावा संबंधित जिले एसएसपी ने वाहन की जब्ती और विभागीय कार्रवाई की कोई समीक्षा नहीं की. जिस कारण वाहन पुलिस थाने के परिसर में पड़ा रहा और उसकी कीमत कम हो गई.
हाईकोर्ट ने गोपालगंज के एसपी को निर्देश दिया कि वह अपने अधिकार क्षेत्र में जांच करे कि कितने जब्त वाहन थाने में पड़े हुए हैं. इन वाहनों को उनके मालिक के पक्ष में निपटाया जाना चाहिए या फिर उन्हें नीलाम किया जाना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि यदि वाहन मालिक, आरोपी, बीमा कंपनी या अन्य पक्षधर वाहन पर दावा नहीं करता है, तो मजिस्ट्रेट उसे नीलाम करने का आदेश दे सकता है.
कोर्ट ने याचिकाकर्ता को अनावश्यक रूप से परेशान करने पर 25 हजार रुपए की क्षतिपूर्ति और 25 हजार रुपए जुर्माना देने का आदेश दिया है. कुल 50 हजार रुपए 6 सप्ताह के भीतर वाहन मालिक को देने का निर्देश दिया गया है.