मंगलवार को राजधानी पटना में एक और प्रदर्शन देखने मिला है. सरकार की नाकामी के खिलाफ एक बार फिर छात्र सड़क पर उतर आए हैं. पटना में बीएसएससी कार्यालय के बाहर सहायक उर्दू अनुवाद के रिजल्ट को लेकर बड़ी संख्या में अभ्यार्थी प्रदर्शन कर रहे हैं. यह अभ्यर्थी बीएसएससी कार्यालय पहुंचने की कोशिश में हैं, लेकिन पुलिस ने अरण्य भवन के पास ही रोक लिया है. प्रदर्शन में पुलिस ने हल्का बल प्रयोग करते हुए अभ्यर्थियों को रोका है.
दरअसल बिहार में 2019 में मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग की ओर से 1294 पदों के लिए सहायक उर्दू अनुवादक का विज्ञापन जारी किया गया था. 2021 में इसके लिए प्रारंभिक परीक्षा का आयोजन कराया गया, जिसमें 5322 अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा के लिए सफल घोषित किया गया. 2022 में मुख्य परीक्षा जुलाई में आयोजित हुई जिसके बाद 1374 अभ्यर्थियों की काउंसलिंग भी कराई गई. लेकिन 2 सालों के बाद आगे की कोई प्रक्रिया नहीं की गई है. 2 साल तक यह मामला उच्च न्यायालय में लंबित रहा, जिस कारण प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ सकी. अक्टूबर 2023 में न्यायालय द्वारा मामला खारिज होने के बाद आयोग ने लगभग 800 अभ्यर्थियों की दूसरी काउंसलिंग की अधिसूचना जारी की थी.
1294 पदों के लिए सामान्य वर्ग के साथ पिछड़े, अति पिछड़ी, अनुसूचित जाति/ जनजाति के भी पदों की गणना के बाद आयोग को लगभग 800 से 900 पदों पर ही अभ्यर्थियों को सूची जारी करनी थी. जिसके लिए 2200 अभ्यर्थियों की काउंसलिंग पुरी की जा चुकी है. लेकिन आयोग की ओर से अंतिम मेरिट लिस्ट जारी करने की बजाय खामियों का हवाला देते हुए 291 और अभ्यर्थियों को प्रारंभिक परीक्षा में 2 साल बाद पास कर कर मुख्य परीक्षा लेने की घोषणा की है.
अभ्यर्थियों ने इस मामले पर सवाल उठाना शुरू किया है, उन्होंने पूछा कि आयोग को 2 साल बाद के खामी का अचानक कैसे पता चला.