सर सुल्तान अहमद ने 1922 में पटना के वीर चंद पटेल पथ पर हवेली का निर्माण करवाया था, जिसे आज सुल्तान पैलेस के रूप में जाना जाता है. सर सुल्तान अहमद पटना हाईकोर्ट के पूर्व जज और पटना यूनिवर्सिटी के पहले भारतीय कुलपति थे. अपने सौ साल पुरे कर चुकी यह हवेली इंडो- सारसेनिक शैली में बनी है जिसमे मुग़ल और राजपूत शैली को भी खास स्थान दिया था.
10 एकड़ में बनी इस हवेली के वास्तुकार अली जान थे. लगभग दो सालों में बनकर तैयार हुए इस हवेली को बनानें में उस वक्त तीन लाख रूपए खर्च हुए थे. इसकी अद्भुत नक्काशी प्रसिद्ध कारीगर मंजुल हसन काजमी ने की थी. हवेली का अगला हिस्सा पुरुषों के लिय और पिछला हिस्सा महिलाओं के रहने के लिए बनाया गया था. हवेली में सफेद संगमरमर का उपयोग किया गया है साथ ही इसके मुख्य हॉल व डाइनिंग रूम की छत और दीवारों की नक्काशी में 18 कैरट सोने का भी उपयोग किया गया था. उपरी मंजिल पर जाने के लिए बनाई गयी सीढ़ी में बर्मा से लाए गए लकड़ियों का प्रयोग किया गया था. दरवाजों और रोशनदानों में लगाए गए रंगीन शीशे विदेशों से मंगाए गए थे. हवेली की दीवारों को फूल पत्तियों की नक्काशी से सजाया गया है.