पटना: 'शेफील्ड यूनिवर्सिटी' की शोधकर्ता पुनिता चौबे ने महिलाओं के खिलाफ आर्थिक हिंसा पर बनाई डॉक्यूमेंट्री फिल्म

AC चाहिए? जाओ अपने मायके से मांग कर लाओ. घर में फ्रिज चाहिए? अपने पापा से मांग लाओ. इस तरह की पितृसत्तात्मक सोच पर पटना में आज एक शार्ट डाक्यूमेंट्री प्रदर्शित की गई.

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महिला हिंसा पर बनी डाक्यूमेंट्री

महिलाओं के खिलाफ आर्थिक हिंसा पर बनाई डॉक्यूमेंट्री फिल्म

AC चाहिए? जाओ अपने मायके से मांग कर लाओ. घर में फ्रिज चाहिए? अपने पापा से मांग लाओ. शादी हो गई तो इसका मतलब क्या मुझे अब भी पैसे और सामान चाहिए, वरना मैं तुम्हे जान से मार दूंगा.

अक्सर ऐसे शब्द लड़ाई-झगड़े में आपने अपने आस-पास या हो सकता है अपने घर में सुने होंगे. या फिर आपने यह भी सुना होगा कि कसी एक आदमी अपनी पत्नी को काम पर जाने से रोकता है, उसपर आर्थिक तौर पर प्रतिबन्ध लगाता है. यह सब हमारे समाज में हमारे ही लोग करते है. यह एक गंभीर और पितृसत्तात्मक सोच की देन है. कई लोग इस सोच को समाज से हटाने के लिए अपनी तरफ़ से काम कर रहे है.

शेफील्ड हॉलम यूनिवर्सिटी, इंग्लैंड की रिसर्चर पुनिता चौबे ने इसी मुद्दे पर आज एक 20 मिनट की डाक्यूमेंट्री जगजीवन राम शोध संस्थान में लोगों के लिए प्रदर्शित की. फिल्म पटना की पांच महिलाओं के जीवन में हो रही आर्थिक हिंसा पर बनी है. 20 मिनट की इस फिल्म को पुनिता चौबे के निर्देशन में बनाया गया है. साथ ही पटना से ग्राउंड वर्क निवेदिता, सीटू और राजेश राज ने किया है. 

फिल्म खत्म होने के बाद लोगों ने अपनी भावनात्मक प्रतिक्रियाएं दी. मौजदू लोगों ने बताया कि किस तरह से ऐसी घटनाएं वह रोज सुनते और देखते है, लेकिन परदे पर वह और भावनत्मक रूप के साथ उतारी गई तो उनकी आंखें भर आई. डाक्यूमेंट्री फिल्म को लोगों ने काफ़ी जुड़ाव महसूस किया. 

Bihar documenatry Sheffield University researcher Punita Choubey violence against women