भीम संसद कार्यक्रम में रोजगार नहीं मिलने से नाराज लोग, मुखिया के आग्रह पर आये पटना

रविवार को पटना में हुए दलितों के कार्यक्रम भीम संसद में दलित लोग शामिल ही नहीं हुए. कार्यक्रम में शामिल लोगों ने बताया कि उन्हें उनके प्रतिनिधियों ने पटना भेजा है.

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भीम संसद

भीम संसद कार्यक्रम में सीएम

रविवार को पटना के वेटेनरी कॉलेज ग्राउंड में लाखों लोगों का जन सैलाब उमड़ा था. पूरे दिन पटना की सड़कों पर जदयू और भीम संसद की भीड़ चल रही थी. 

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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जदयू के तमाम नेताओं ने अपने दलित और महादलित कार्यक्रम को सफल घोषित किया. नीतीश कुमार ने अपने संबोधन में भीड़ के जुटान को देखते हुए केंद्र सरकार को चुनौती भी दे डाली थी. लेकिन इतनी बड़ी संख्या में लोगों के जुटान का मकसद क्या था, यह सीएम ने नहीं जाना.

दरअसल भीम संसद में शामिल होने के लिए ज्यादातर लोग गांवों से आए थे. यह लोग यहां अपनी अलग-अलग मांगों को लेकर पहुंचे थे. सभी लोगों को बस यह पता था, सीएम का कार्यक्रम उनके ही मुद्दे को लेकर हो रहा है. नौबतपुर गांव से भीम संसद में शामिल हुए मनोज कुमार ने बताया की उन्हें गांव के मुखिया ने टिकट करा कर पटना भेजा है. उन्हें भीम संसद का उद्देश्य नहीं पता. उनके जैसे कई लोग इस कार्यक्रम में शामिल हुए है. 

भीम संसद की भीड़
भीम संसद की भीड़
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इसी तरह कार्यक्रम में शामिल और लोगों ने बताया कि उन्हें उनके प्रतिनिधियों ने पटना भेजा है. उन्हें कहा गया है कि कार्यक्रम में रोजगार मिलेगा. सीएम कार्यक्रम में शामिल हुए लोगों की परेशानियों को सुनेंगे और मंच से उसके समाधान का संबोधन करेंगे.

पटना की स्लम बस्ती यारपुर में जब लोगों से पूछा गया कि क्या दलितों के इस कार्यक्रम में आपको शामिल होने का न्योता मिला तो लोगों ने इसे सिरे से ख़ारिज कर दिया. बस्ती के लोगों का कहना था कि विकास बाबू के कार्यकाल में दलितों का कोई विकास नहीं हुआ है. 

चुनावी संसद कार्यक्रम संविधान दिवस पर किसी भी तरह से दलितों को शामिल नहीं कर पाया. लेकिन राजनितिक गलियारों में चमकने के लिए काफी रहा. 

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