बिहार में चार विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं. उपचुनाव की घोषणा के बाद से ही राज्य में उम्मीदवारों के ऐलान का सिलसिला शुरू हो चुका है. जिसमें बिहार के राजनीतिक मैदान में पहली बार उतारने जा रहे प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज ने भी अपने उम्मीदवार की घोषणा की. लेकिन घोषणा के बाद ही उम्मीदवार बदलने की नौबत खड़ी हो गई है.
दरअसल पीके की पार्टी ने तरारी विधानसभा सीट पर अपना उम्मीदवार पूर्व सैन्य अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल एसके सिंह को बनाया, लेकिन उनकी जगह नए उम्मीदवार बनाने की चर्चा तेज हो गई है. भोजपुर जिले के करथ गांव के मूल निवासी एसके सिंह लंबे अरसे से दिल्ली में परिवार के साथ रह रहे हैं. उनका बिहार के किसी भी जिले की वोटर लिस्ट में नाम नहीं है. जिस कारण ही उनकी उम्मीदवारी पर संकट खड़ा हो गया है. नियमों के मुताबिक विधानसभा और विधान परिषद चुनाव में उम्मीदवारी के लिए व्यक्ति का नाम उस राज्य की वोटर लिस्ट में होना जरूरी होता है. लोकसभा चुनाव के उम्मीदवारी के लिए भी देश के किसी भी राज्य की वोटर लिस्ट में उम्मीदवार का नाम होना जरूरी है.
अब बिहार की वोटर लिस्ट में लेफ्टिनेंट जनरल एसके सिंह के नाम न होने से उनकी उम्मीदवारी पर संकट खड़ा हो गया है. चर्चाएं तेज है कि पीके तरारी विधानसभा सीट से मंगलवार को आरा में नए कैंडिडेट के नाम का ऐलान करेंगे. इधर सोशल मीडिया पर चर्चा तेज हो गई है कि पीके बिना जांच पड़ताल के उम्मीदवार कैसे घोषित कर सकते हैं, क्योंकि 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में भी पीके सभी सीटों पर चुनाव के लिए तैयार बैठे हैं. ऐसे में चार सीटों के उपचुनाव में इस गलती से पार्टी की व्यवस्था की पोल खुल गई है.
तरारी के अलावा पीके ने इमामगंज से डॉक्टर जितेंद्र पासवान, बेलागंज से प्रोफेसर खिलाफत हुसैन को प्रत्याशी बनाया है. रामगढ़ विधानसभा सीट पर पार्टी ने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है.