कोविशिल्ड वैक्सीन से होने वाले साइड इफ़ेक्ट को लेकर हुए खुलासे के बाद अब नई बहस पीएम मोदी (PM Modi) की तस्वीर वैक्सीन सर्टिफिकेट (Vaccine Certificate) से हटाए जाने को लेकर शुरू हो गई है. दरअसल, कोविशील्ड वैक्सीन बनाने वाली कंपनी एस्ट्राजेनेका (AstraZeneca) ने ब्रिटिश हाईकोर्ट में यह स्वीकार किया है कि उनकी बनाई वैक्सीन से साइड इफेक्ट हो सकता है. इसके बाद से भारत में भी इसकी जांच किये जाने की मांग शुरू हो गयी है. साथ ही मांग की जा रही है कि अगर किसी व्यक्ति को इसके कारण नुकसान हुआ है तो उसे मुआवजा दिया जाये.
वैक्सीन को लेकर शुरू हुए विवाद के बाद स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने वैक्सीन सर्टिफिकेट (CoWIN) से पीएम मोदी का नाम और तस्वीर हटा दिया है. वहीं विवाद पर सफाई देते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि ऐसा मौजूदा चुनावों के कारण लागू आचार संहिता के कारण किया गया है.
सुप्रीम कोर्ट में हुआ केस
मंगलवार एक अप्रैल को वकील विकास तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट में कोविशिल्ड (Covishield) वैक्सीन के जांच की मांग वाली याचिका दाखिल की है. इस याचिका में कोविशील्ड वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स की जांच के लिए एक्सपर्ट्स पैनल बनाए जाने की भी मांग की गई है. साथ ही जांच में नुकसान की बात साबित होने पर मुआवजा देने की मांग की गयी है. याचिकाकर्ता वकील विकास तिवारी ने याचिका में एस्ट्राजेनेका दवार ब्रिटिश हाईकोर्ट में दिए गये बयान का भी सन्दर्भ दिया है. याचिकर्ता ने कहा “एस्ट्राजेनेका ने कोर्ट में बताया है कि कोविशील्ड वैक्सीन से खतरनाक थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम होता है. थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम में शरीर में खून के थक्का जमने लगते हैं. साथ ही प्लेटलेट्स की संख्या कम होने लगती है. वहीं जांच में सामने आया है कि इसके साइड इफ़ेक्ट से हार्ट अटैक का खतरा भी बढ़ सकता है.
सीरम इंस्टिट्यूट पर केस की तैयारी
भारत में कोरोना के खिलाफ सबसे पहली वैक्सीन कोविशिल्ड थी. सीरम इंस्टिट्यूट (Serum Institute) ने इसे ब्रिटिश फार्मा कंपनी एस्ट्रेजेनेका के फ़ॉर्मूले पर बनाया था. वहीं भारत में लोगों को सबसे ज्यादा कोविशिल्ड वैक्सीन की डोज लगाई गयी है. भारत में 175 करोड़ डोज कोविशिल्ड, 36 करोड़ कोवैक्सीन और 7.38 करोड़ कोर्बेवैक्स की डोज दी गई है.
अब भारत में भी कुछ परिवार, जिन्होंने अपने प्रियजनों को खोया है सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया पर मुकदमा करने का फैसला लिया है. इन परिवारों का कहना है कि उनके प्रियजन की मौत वैक्सीन के साइड इफ़ेक्ट से हुआ है.
कोविड-19 वैक्सीन पर संदेह के बाद सबसे पहला केस वर्ष 2023 में ब्रिटिश नागरिक स्कॉट ने एस्ट्रेजेनेका के खिलाफ किया था. मई 2023 में कंपनी ने इसपर जवाब देते हुए कहा था कि उनकी वैक्सीन से TTS नहीं हो सकता. हालांकि फरवरी 2024 में कंपनी ने कोर्ट में माना की कुछ मामलों में उनकी वैक्सीन से खतरनाक TTS सिंड्रोम हो सकता है.
ब्रिटेन में एस्ट्रेजेनेका द्वारा बनाई गयी कोविड-19 की वैक्सीन पर रोक है.