झारखंड में आलू पर संकट गहराता हुआ नजर आ रहा है. राज्य में आलू के दाम हर दिन बढ़ रहे हैं, इसका जिम्मेदार पश्चिम बंगाल सरकार को ठहराया जा रहा है. दरअसल पश्चिम बंगाल से आलू आने पर रोक लग गई है, जिसका व्यापक असर प्रदेश के आलू दाम पर पड़ रहा है. आम जनता पर महंगा आलू खरीदने का बोझ बढ़ रहा है, तो वहीं आलू कारोबारी झारखंड सरकार से हस्तक्षेप करने की मांग कर रहे हैं.
पिछले चार दिनों से पश्चिम बंगाल से आलू का ट्रक झारखंड नहीं पहुंच रहा है. झारखंड के बॉर्डर से ही आलू के ट्रक लौट जा रहे हैं, क्योंकि बंगाल सरकार ने स्टॉक को मेंटेन और आलू के दाम को नियंत्रित करने के लिए राज्य के आलू को दूसरे राज्यों में सप्लाई करने पर रोक लगा दी है. झारखंड के अलावा असम और ओड़ीशा में भी आलू निर्यात पर रोक लगाई गई है. बॉर्डर पर पुलिस प्रशासन है, ताकि आलू से लोड ट्रक दूसरे राज्यों में ना जा सके.
राजधानी रांची में आलू पिछले हफ्ते 25 से 30 रुपए किलो बिक रहा था. अभी के समय आलू के दाम 40 से 45 रुपए प्रति किलो हो गया है. एक हफ्ते में 10 से 15 रुपए की बढ़ोतरी आलू के रेट में हुई है.
अभी पिछले दिनों ही राज्य में झामुमो के नेतृत्व वाली इंडिया गठबंधन की सरकार बनी है. हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, जिसमें पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी भी शामिल होने पहुंचे थी. लेकिन इस कार्यक्रम के चंद दिनों के बाद ही बंगाल और झारखंड सरकार के बीच में तनातनी के माहौल बन गया है.
हालांकि प्रदेश के सीएम इस पर नजर बनाए हुए हैं. सीएमओ ने ट्वीट करते हुए लिखा, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बंगाल बॉर्डर पर आलू के वाहन रोकने की खबरों पर संज्ञान लेते हुए मुख्य सचिव को मामला सुलझाने का निर्देश दिया है. झारखंड की मुख्य सचिव की ओर से मामले में हस्तक्षेप के बाद पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव ने कमेटी बनाकर मामले के जल्द निष्पादन पर भरोसा दिया है.