राज्य में 2 अक्टूबर को जातीय जनगणना की रिपोर्ट जारी की गई थी. रिपोर्ट के जारी होने के साथ ही राज्य में राजनीति शुरू हो गई थी. विपक्ष ने जातीय जनगणना को पूरी तरह से गलत और ऑफिस में बैठकर किया हुआ काम बताया है. जातीय जनगणना के जारी हुई रिपोर्ट से कई जाति नाराज चल रही है.
सोमवार को बिहार की पूर्व डिप्टी सीएम रेणु देवी जातीय जनगणना को लेकर धरने पर बैठ गई है. रेणु देवी का कहना है कि नोनिया, बिन्द, बेलदार समाज के साथ सरकार ने जातीय जनगणना के रिपोर्ट में धोखा किया है. पूर्व डिप्टी सीएम पटना के गरदनीबाग़ के धरना स्थल पर नोनिया, बिन्द, बेलदार समाज के लोगों के साथ प्रदर्शन में शामिल हुई.
रेणु देवी ने कहा है की जातीय जनगणना में हमारे समाज के लोगों को कम दिखाया जा रहा है.राज्य में हमारे समाज की संख्या 7 से 8 प्रतिशत है. जबकि हमें कम करके 3.38 प्रतिशत ही दिखाया गया है. रेणु देवी ने जनगणना के दोबारा मांग की है.
शनिवार को भी राष्ट्रीय लोक जनता दल ने जातीय जनगणना के खिलाफ गांधी मैदान से राजभवन मार्च निकाला था. जिसे पुलिस ने डाक बंगला चौराहा पर ही रोक दिया था.
जातीय जनगणना के रिपोर्ट में बहुत गड़बड़ी
उपेंद्र कुशवाहा के नेतृत्व में निकले इस राज भवन मार्च में कुशवाहा ने आरोप लगाया था. कि बिहार में जारी किए गए जातीय जनगणना के रिपोर्ट में बहुत गड़बड़ी की गई है. उनका आरोप था कि लोगों के घर पर जाकर उनसे जाति नहीं पूछे गई है. कई लोगों को इस जातीय जनगणना में शामिल नहीं किया गया है. और यह रिपोर्ट पूरी तरह से गलत है.
राष्ट्रीय लोक जनता दल के कुशवाहा ने कहा है कि जातीय जनगणना के रिपोर्ट में कई जातियों को जो खासकर एससी-एसटी से आते हैं. उनके आंकड़ों को काम करके बताया गया है.
ट्रांसजेंडर समुदाय को जाति से अलग का याचिका भी दायर
राज्य में ट्रांसजेंडर समुदाय ने भी अपने समुदाय के लोगों की संख्या कम बताए, जाने का आरोप राज्य सरकार पर लगाया है. इसके साथ ही उन्होंने अपने समुदाय को जाति से अलग करने के लिए कोर्ट में याचिका भी दायर की है. राज्य में लगातार जातीय जनगणना के खिलाफ प्रदर्शन और राजनीती गर्म है.
बिहार सरकार का कहना है कि इस जातीय जनगणना को पूरी तरह से साइंटिफिक तरीके से तैयार किया गया है. सरकार का कहना है कि इस जातीय जनगणना के रिपोर्ट से राज्य में आने वाली सरकारी योजनाओं में लाभ मिल पाएगा.