आरक्षण को लेकर आज राजद ने संसद के बाहर प्रदर्शन किया. बिहार में बढे आरक्षण को भारतीय संविधान के नौवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग राजद ने रखी. राजद नेता और सांसद मीसा भारती, मनोज झा समेत कई राजद विधयाकों ने आरक्षण को लेकर अपनी मांग रखी. मीसा भारती ने कहा कि यह प्रदर्शन इसलिए है ताकि आरक्षण को नौवीं अनुसूची में शामिल किया जा सके. जिससे आदिवासियों, दलितों और अति पिछड़ों को सुरक्षा मिले. जब बिहार में महागठबंधन की सरकार थी, तब नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव और लालू यादव ने जातीय जनगणना की मांग की थी. बिहार में जातीय जनगणना हुई. जिसके बाद अनुपात के हिसाब से दलितों, आदिवासियों, अति पिछड़ों का आरक्षण बढ़ाया गया था. वहीं आरक्षण उन्हें दिया जाए और सरकार उसे नौवीं अनुसूची में शामिल करें, ताकि इसका लाभ मिल सके.
राजद सांसद संजय यादव ने भी 65 फीसदी आरक्षण को संविधान में शामिल करने की मांग की. उन्होंने कहा कि बिहार में तेजस्वी यादव के नेतृत्व में जातीय जनगणना कराई गई थी. हमने संख्या को देखते हुए आरक्षण को 65 फीसदी बढ़ाया था. 2023 दिसंबर में इस प्रस्ताव को केंद्र सरकार को भेजा गया था. 7 महीने हो गए हैं, लेकिन डबल इंजन की सरकार इस पर काम नहीं कर रही है. जबकि केंद्र सरकार कह रही है कि यह मामला संविधान के प्रावधानों के तहत राज्य सरकार के अधीन आता है.
बिहार में 65 फीसदी आरक्षण लागू किया गया, लेकिन बाद में इसे पटना हाईकोर्ट ने रोक दिया. सुप्रीम कोर्ट ने भी बिहार सरकार को आरक्षण मामले में झटका दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट के आरक्षण पर लगाए रोक आदेश को हटाने से इनकार किया था.