सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड सरकार से पूछा सवाल- एयरक्राफ्ट एक्ट के तहत CID जांच कैसे संभव?

शीर्ष अदालत ने भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और मनोज तिवारी के खिलाफ एयरक्राफ्ट नियमों के उल्लंघन के मामले की जांच सीआईडी से कराने को लेकर झारखंड सरकार से सवाल किया है.

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एयरक्राफ्ट एक्ट के तहत CID जांच

एयरक्राफ्ट एक्ट के तहत CID जांच

सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड सरकार से सीआईडी जांच को लेकर सवाल पूछा है. बुधवार को शीर्ष अदालत ने भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और मनोज तिवारी के खिलाफ एयरक्राफ्ट नियमों के उल्लंघन के मामले की जांच सीआईडी से कराने को लेकर सवाल किया है. कोर्ट ने पूछा कि आपकी पुलिस(सीआईडी) एक ऐसे मामले की जांच कैसे कर सकती है, जो की एयरक्राफ्ट एक्ट के तहत आता है.

कोर्ट ने राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील जयंत मोहन से कहा कि यह मामला एयरक्राफ्ट एक्ट के तहत विचारणीय है. जिसमें विमानन अपराधों से संबंधित मामलों की जांच के लिए एक मात्र जिम्मेदारी डीजीसीए को दी गई है.

न्यायमूर्ति ए.एस ओका और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने झारखंड हाईकोर्ट के 13 मार्च 2023 के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार की अपील पर भी अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. जिसमें भाजपा सांसदों और अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी. हाईकोर्ट ने प्राथमिकी को इस आधार पर रद्द किया था कि एयरक्राफ्ट(अमेंडमेंट) एक्ट 2020 के अनुसार लोकसभा सचिवालय से कोई पूर्व मंजूरी नहीं ली गई थी.

दरअसल, 31 अगस्त को भाजपा सांसद मनोज तिवारी और निशिकांत दुबे का विमान निर्धारित समय पर नहीं उड़ सका था. जिसके बाद सूर्यास्त होने की वजह से एटीसी ने विमान उड़ाने की अनुमति नहीं दी. इस मामले में दोनों सांसद पर जबरदस्ती अनुमति लेने आरोप है. इस मामले में दोनो सांसदों सहित 9 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है.

 

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