सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को समलैंगिक शादी को लेकर पांच जजों की पीठ ने अपना फैसला सुनाया है. देश के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि कोर्ट कानून नहीं बन सकता. सिर्फ कोर्ट उसकी व्याख्या कर उसे लागू कर सकता है. स्पेशल मैरिज एक्ट के प्रावधानों में बदलाव की जरूरत है या नहीं यह तय करना संसद का काम है कोर्ट का नहीं.
सेम सेक्स मैरिज पर सुनवाई देश में 18 अप्रैल से शुरू की गयी थी. 11 मई को सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया गया था. सेम सेक्स मैरिज में सेम सेक्स कपल, ट्रांसजेंडर, एलजीबीटी कम्युनिटी के लोगों ने अपनी अर्जी दाखिल की थी.
लाइफ पार्टनर चुनने और पसंद करने का अधिकार सभी को
जस्टिस चंद्रचूड़ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि बच्चों को गोद लेने के लिए बना कानून शादीशुदा और गैर शादीशुदा के लिए कोई भेदभाव नहीं करता है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि हेटेरो बेहतर पैरेंट्स होंगे और होमो नहीं, यह कोई तय नहीं कर सकता है.
चीफ जस्टिस ने आर्टिकल 19 का जिक्र करते हुए कहा कि सभी को लाइफ पार्टनर चुनने और पसंद करने का अधिकार है. सभी को यह अधिकार मिला है कि वह किसे पार्टनर चुने और कौन किसके साथ रहे.
चीफ जस्टिस ने कहा है कि समलैंगिक जोड़ों के लिए सुरक्षित घर बनाएं और पुलिस ऐसे जोड़ों को जबरन घर ना भेजें. इसके साथ ही समलैंगिक अधिकारों पर जनता में भी जागरूक फैलाएं.
इस पांच जजों में बेंच में चीफ जस्टिस चंद्रचूड़, जस्टिस कौल, जस्टिस भट्ट और जस्टिस नरसिम्हा शामिल हैं. केंद्र सरकार ने सेम सेक्स मैरिज को भारतीय समाज के खिलाफ बताया था.