सुप्रीम कोर्ट में आज कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप-मर्डर मामले पर सुनवाई हुई. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान हड़ताली डॉक्टरों को काम पर लौटने का आदेश दिया है. सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की बेंच ने सीबीआई जांच रिपोर्ट, डॉक्टर की हड़ताल और सीआईएसएफ जवानों की सुविधाओं पर सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया.
सीबीआई की रिपोर्ट पर कोर्ट ने कहा कि एफआईआर में 14 घंटे की देरी हुई है. वहीं कुछ जरूरी दस्तावेज भी रिपोर्ट से गायब है. कोर्ट ने राज्य सरकार को गायब दस्तावेजों को पेश करने का आदेश दिया.
डॉक्टरों को काम पर लौटने का आदेश देते हुए सीजेआई ने कहा कि अगर मंगलवार शाम 5:00 बजे तक डॉक्टर ड्यूटी पर नहीं लौटते हैं, तो उनके खिलाफ राज्य सरकार कार्रवाई करेगी. राज्य सरकार को इसमें नहीं रोका जा सकता. डॉक्टर का पेशा मरीजों की सेवा करना है.सीजेआई ने आगे कहा कि हमें पता है कि वास्तविक हालात क्या है. मगर डॉक्टरों को काम पर वापस जाना होगा. हमने डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए निर्देश दिए हैं. सिर्फ कोलकाता ही नहीं बल्कि विभिन्न जिला अस्पतालों में भी जूनियर डॉक्टरों को खतरा है. राज्य सरकार को डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी.
वही सीआईएसएफ जवानों की सुविधाओं पर कोर्ट ने कहा कि राज्य के गृह सचिव सभी जवानों को रहने के लिए घर मुहैया कराएं. यह जवान अस्पताल की सुरक्षा के लिए आए हैं. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि जवानों को अतिरिक्त सुरक्षा उपकरण भी दिए जाए. अब इस मामले पर 17 सितंबर को सुनवाई होगी.
बता दें कि पश्चिम बंगाल की घटना के बाद विरोध में जूनियर डॉक्टर लगभग 1 महीने से हड़ताल पर है. रविवार रात भी डॉक्टरों ने न्याय मिलने तक आंदोलन जारी रखने का ऐलान किया था. डॉक्टरों की हड़ताल से 23 मरीजों की जान चली गई थी. राज्य के वकील कपिल सिब्बल ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि करीब 6 लाख मरीज अब भी खतरे में है. घायल पुलिसकर्मियों को भी इलाज नहीं मिल पा रहा है.
गौतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने इसके पहले भी डॉक्टरों से काम पर लौटने का अनुरोध किया था. इसके बाद एम्स के डॉक्टर काम पर लौट गए थे, लेकिन पश्चिम बंगाल के कई मेडिकल कॉलेजों में विरोध नहीं रुका.