योग गुरु बाबा रामदेव पर एक बार फिर से दुखों का पहाड़ टूटता हुआ नजर आ रहा है. बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वैदिक प्रोडक्ट बनाने का दावा करती है, जिसपर सुप्रीम कोर्ट एक-एक कर फटकार लगा रही है. पतंजलि ने सुप्रीम कोर्ट में यह जानकारी दी कि उसने 14 उत्पादों पर रोक लगा दी है. इन 14 उत्पादों का अप्रैल में उत्तराखंड सरकार ने मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस रद्द किया था.
इन दवाओं के लाइसेंस रद्द होने के बाद 5,060 फ्रेंचाइजी स्टोर्स से इन 14 प्रोडक्ट्स को वापस लेने का निर्देश पतंजलि को दिया गया. साथ ही मीडिया प्लेटफॉर्म से भी इन प्रॉडक्ट्स के विज्ञापन को वापस लेने के लिए निर्देश दिया गया है. मंगलवार को पतंजलि ने खुद जस्टिस सीमा कोहली और संदीप मेहता की बेंच को लाइसेंस रद्द होने की जानकारी दी. इसके बाद बेंच ने दो हफ्ते के अंदर पतंजलि को एफिडेविट तैयार करने के लिए कहा है. जिसमें पतंजलि को यह बताना होगा कि क्या सोशल मीडिया को-ऑर्डिनेटर ने इन प्रोडक्ट के विज्ञापन हटाने के उनके अनुरोध को स्वीकार किया और क्या विज्ञापन वापस लिए गए. पतंजलि के इस मामले पर अब अगली सुनवाई 30 जुलाई को तय की गई है.
बता दें कि पतंजलि की ओर से बनाए जाने वाले श्वासारि गोल्ड, श्वासारि वटी, श्वासारि प्रवाही, श्वासारि अवलेह, ब्रोंकोम, मुक्ता वटी एक्स्ट्रा पावर, लिपिडोम, बीपी ग्रि,ट मधु ग्रिट, मधुनाशिनी वटी एक्स्ट्रा पावर, लिवामृत एडवांस, लिवो ग्रिट, आईग्रिट गोल्ड, पतंजलि दृष्टि आई ड्रॉप के लाइसेंस रद्द हुए हैं.
पतंजलि के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में भारतीय चिकित्सा संघ(आईएमए) की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई हो रही है. आईएमए ने कहा था कि पतंजलि कोविड टीकाकरण अभियान और आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों के खिलाफ दुष्प्रचार अभियान चला रहा है. इसके पहले भी सुप्रीम कोर्ट में भ्रामक विज्ञापन मामले में पतंजलि को कड़ी फटकार लगी है. मामले में योग गुरु बाबा रामदेव और उनके सहयोगी बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को जारी अवमानना नोटिस पर कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. इस मामले में कोर्ट ने सार्वजनिक माफीनामा प्रकाशित करने के आदेश दिए थे.