सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है, जो सभी गुजरातियों को ठग बताने वाली अपनी विवादित टिप्पणी पर कोर्ट की नाराजगी झेल रहे हैं. गुजरातियों पर की गई विवादित टिप्पणी पर तेजस्वी यादव ने नया हलफनामा दाखिल किया है, और विवादित टिप्पणी पर खेद जताते हुए अपना बयान वापस ले लिया है. तेजस्वी यादव के इस नए हलफनामे - को भी सुप्रीम कोर्ट ने रिकॉर्ड पर लिया.
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिए थे कि वह मानहानि को खत्म भी कर सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था तेजस्वी यादव को इसके लिए एक हलफनामा दाखिल करना होगा, जिसमें उन्हें अपनी टिप्पणी के लिए खेद जाहिर करना होगा और अपने बयान को वापस लेना होगा. जिसके बाद तेजस्वी यादव ने शीर्ष अदालत के दिए गए संकेत पर अमल किया है. इसके साथ ही उन्होंने केस को बिहार में स्थान्तरण करने की भी मांग रखी है.
भारतीय दंड संहिता की धारा 499 और 500
सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति ए एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जवल की पीठ ने तेजस्वी यादव के हलफनामे पर शिकायतकर्ता की तरफ से आपत्ति जताने के बाद एक नया हलफनामा दाखिल करने के लिए एक हफ्ते का वक्त दिया था. जिस पर सुनवाई करते हुए 5 फरवरी के लिए इसे स्थगित किया गया था.
तेजस्वी यादव के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 499 और 500 के तहत शिकायत दर्ज कराई गई थी. गुजरात अदालत ने अगस्त में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 202 के तहत तेजस्वी यादव के खिलाफ प्रारंभिक जांच भी की थी. कोर्ट ने एक स्थानीय व्यवसायी हरिश मेहता की तरफ से दायर शिकायत पर तेजस्वी यादव के खिलाफ समन के लिए पर्याप्त आधार बताया था. हरिश मेहता की शिकायत के अनुसार तेजस्वी यादव ने मार्च 2023 में राजधानी पटना में मीडिया को बयान देते हुए गुजरातियों पर विवादित टिप्पणी की थी. इस दौरान तेजस्वी यादव बिहार के उपमुख्यमंत्री का पद भी संभाल रहे थे. पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा था कि सभी गुजराती ठग होते हैं.
शिकायतकर्ता ने यह दावा किया कि तेजस्वी यादव की इन टिप्पणियों से गुजरातियों को बदनाम करने की कोशिश की गई है.