पटना नगर निगम ने राजधानी में प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए नया प्लान बनाया है. नगर निगम की ओर से जल्द ही शहर में स्मॉग गन, स्मॉग टावर और लिक्विड ट्री का निर्माण कराया जाएगा, इसके लिए पटना नगर निगम चार करोड़ रुपए खर्च करेगा.
स्मॉग गन, स्मॉग टावर और लिक्विड ट्री कार्बन डाईऑक्साइड और नाइट्रोजन की मात्रा को शहर के वातावरण में कम किया जाएगा. जिससे शहर में प्रदूषण का स्तर में काफी गिरावट आएगी.
दिल्ली और बेंगलुरु जैसे बड़े शहरों में पहले से ही स्मॉग टावर लगाए गए हैं इसी की तर्ज पर पटना में भी इसे लगाया जाएगा. पटना के व्यस्ततम इलाकों में से एक गांधी मैदान और पटना जंक्शन के इलाके में इसे लगाने की बात चल रही है.
पटना निगम के पास 20 स्प्रिंकलर
सशक्त स्थाई समिति के सदस्य इंद्रदीप चंद्रवंशी ने बताया कि स्मॉग टावर का इस्तेमाल दिल्ली में प्रदूषण को कंट्रोल करने के लिए किया जा चुका है. लिक्विड ट्री एक नया कांसेप्ट है. लिक्विड ट्री को बेंगलुरु के बस स्टैंड और रेलवे स्टेशनों पर लगाया गया है. कम जगह और कम लागत पर इसे तैयार किया गया है. राजधानी पटना के लिए भी लिक्विड ट्री का कॉन्सेप्ट काफी इफेक्टिव रहने वाला है. बस स्टैंड पर काफी गाड़ियां खड़ी होती हैं और उस इलाके में ज्यादा पेड़-पौधे भी नहीं लगाए जा सकते हैं, ऐसे में लिक्विड ट्री का कॉन्सेप्ट काफी कारगर रहेगा.
इसी के साथ इंद्रदीप ने आगे बताया कि प्रदूषण को कम करने के लिए स्प्रिंकलर भी पटना में मंगाए गए थे. पटना निगम के पास अभी 20 स्प्रिंकलर हैं, 2 साल पहले तक एक भी स्प्रिंकलर निगम के पास नहीं थे. स्प्रिंकलर के इस्तेमाल से वातावरण में मौजूद प्रदूषण के छोटे धूल कण को कुछ हद नियंत्रण में लाया जा रहा है.
मालूम हो स्मॉग गन एक मशीन है जिसमें हाई स्पीड पंखा लगा होता है. इस मशीन को इस तरह डिजाइन किया जाता है कि इन्हें ऑन करने के बाद पंखे की मदद से पानी के बौछार सीधे हवा में हो. इससे वातावरण में मौजूद धूलकण पानी के साथ जमीन पर आ जाते हैं. स्मॉग टावर पर एक बहुत बड़ा एयर प्यूरीफायर होता है. यह एयर फिल्टर मशीन की तरह काम करता है, स्मॉग टावर हवा में मौजूद हानिकारक हवा अंदर खींचता है और उसकी गंदगी सोखता है. यह हानिकारक कण को छानकर अलग कर देता है और स्वच्छ हवा को वापस वातावरण में छोड़ देता है.
लिक्विड ट्री माइक्रो एलगी से भरा 600 लीटर पानी का टैंक होता है, जो फोटोसिंथेसिस के माध्यम से शुद्ध ऑक्सीजन का उत्पादन कर वायु गुणवत्ता में सुधार करता है. यह बिल्कुल एक पेड़ की तरह काम करता है.