विवादों के बाद UPSC लेटरल एंट्री पर लगी रोक, जानें क्या है पूरा मामला

केंद्र सरकार ने 45 पदों पर लैटरल एंट्री के भर्ती विज्ञापन को रद्द कर दिया है. इस भर्ती विज्ञापन के बाद लगातार विपक्ष की ओर से सवाल उठाए जा रहे थे.

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UPSC लेटरल एंट्री पर रोक

UPSC लेटरल एंट्री पर रोक

केंद्र सरकार ने 45 पदों पर लैटरल एंट्री के भर्ती विज्ञापन को रद्द कर दिया है. इस भर्ती विज्ञापन के बाद लगातार विपक्ष की ओर से सवाल उठाए जा रहे थे. यूपीएससी के द्वारा निकले इस भर्ती पर आपत्ति जताते हुए विपक्ष ने इसे आरक्षण खत्म करने की कोशिश बता दिया था. विवादों के बाद कार्मिक विभाग के मंत्री जितेंद्र सिंह ने यूपीएससी की अध्यक्ष प्रीती सूदन को पत्र लिखा, जिसमें भर्ती को रद्द करने के लिए कहा.

मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि पीएम मोदी का दृढ़ निश्चय है कि संविधान में दिए गए समानता के अधिकार के तहत ही लैटरल एंट्री वाली भर्ती होनी चाहिए. देश में आरक्षण से कोई छेड़छाड़ नहीं होना चाहिए. लैटरल एंट्री वाले पदों को विशेषज्ञ वाला माना जाता है, यह सिंगल काडर पोस्ट होती है इसलिए अब तक इसमें आरक्षण का प्रावधान नहीं था. लेकिन इसकी समीक्षा किए जाने की जरूरत है. इसलिए मैं यूपीएससी से कहूंगा कि वह 17 अगस्त को जारी लैटरल एंट्री वाले विज्ञापन को रद्द कर दे.

केंद्रीय मंत्री ने पत्र के जरिए विपक्ष पर भी निशाना साधते हुए लिखा कि लैटरल एंट्री का कॉन्सेप्ट 2005 में यूपीए सरकार ने लाया था. 

बता दें यूपीएससी ने अपने विज्ञापन में 45 जॉइंट सेक्रेटरी, डिप्टी सेक्रेटरी और डायरेक्टर लेवल की भर्तियों का विज्ञापन जारी किया था. लैटरल भर्ती में कैंडीडेट्स बिना यूपीएससी की परीक्षा दिए रिक्रूट होते हैं, जिससे आरक्षण के नियमों का फायदा नहीं मिलता है.

इसका विरोध करते हुए नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कहा था कि महत्वपूर्ण पदों पर लैटरल एंट्री के जरिए भर्ती कर खुलेआम एससी-एसटी और ओबीसी वर्ग का आरक्षण छीना जा रहा है.

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