लोकसभा में आज वक्फ संशोधन विधेयक पेश किया गया. केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू की ओर से यह विधेयक पेश किया गया. जिसके बाद संसद में जोरदार हंगामा शुरू हो गया. बिल पेश होने के बाद कांग्रेस, सपा, NCP(शरद पवार), AIMIM, TMC, CPI(M), IUML, DMK और RSP ने इसका विरोध किया.
AIMIM के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने विधेयक पर कहा कि यह बिल लाकर केंद्र सरकार देश को जोड़ने के लिए नहीं बल्कि बांटने के लिए काम कर रही है. यह विधेयक इस बात का सबूत है कि केंद्र मुसलमान की दुश्मन है. कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल राव ने कहा कि सरकार कम्युनिटीज के बीच में विवाद पैदा करना चाहती है.
वही किरेन रेजिजू ने कहा कि वक्फ बोर्ड में पहले भी संशोधन हुए हैं. हम सच्चर कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर बदलाव करना चाह रहे हैं. इस कमेटी को कांग्रेस ने ही बनाया था.
वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक 2024 पास हो जाने के बाद वक्फ बोर्ड किसी भी संपत्ति को अपना नहीं बता सकेगा. फिलहाल वक्फ बोर्ड किसी भी जमीन को अपनी संपत्ति घोषित करने की शक्ति रखता है. अगर वह आगे चलकर किसी जमीन को अपना बताता है तो उसका पहले वेरीफिकेशन होगा. इससे बोर्ड की मनमानी पर रोक लगेगी. इसके साथ ही बोर्ड को मिले असीमित अधिकार कम होंगे. इसमें मुस्लिम महिलाओं समेत मुस्लिम समाज के अन्य पिछड़े वर्ग शिया, सुन्नी, बोहरा और आगा खान जैसे वर्गों का प्रतिनिधित्व बढ़ेगा.
मुस्लिम महिलाओं, बुद्धिजीवियों और शिया, बोहरा जैसे समूह लंबे समय से इस कानून में बदलाव की मांग कर रहे थे.
वक्फ संशोधन विधेयक संसद में इसके पहले 1954 में लाया गया था. इसके बाद इसमें कई संशोधन हुए, 1995 में भी एक्ट में संशोधन किया गया था. 2013 में वक्फ बोर्ड कानून को असीम शक्तियां दी गई थी, तब से यह विवादों में घिर गया था. वक्फ अधिनियम 1995 (2013 में संशोधित) की धारा 3 के तहत परिभाषित किया गया है. वक्फ का मतलब मुस्लिम कानून द्वारा पवित्र, धार्मिक रूप में मान्यता प्राप्त किसी भी उद्देश्य के लिए किसी भी चल या अचल संपत्ति का किसी भी व्यक्ति द्वारा दान देना.