भारत में गरीबी एक बहुत बड़ी समस्या है, गरीबी की वजह से आज भी कई बच्चे स्कूल पढ़ने नहीं जाते हैं. पहले से ही बच्चों की यह शिकायत रहती थी कि अगर वह स्कूल पढ़ने जाएंगे तो खाएंगे क्या. इस समस्या से निजात दिलाने के लिए भारत सरकार ने 15 अगस्त 1995 को स्कूलों में पौष्टिक आहार पहुंचाने के लिए मिड डे मील योजना की शुरुआत की थी. इस स्कीम से केंद्र सरकार ने भूख और शिक्षा दोनों का समाधान करने की व्यवस्था की थी. वर्तमान समय में यह स्कीम देशभर में चलाई जाती है और इस स्कीम का फायदा उठाने वाले बच्चे प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों के होते हैं.
मिड डे मील खाने से बच्चे बीमार
स्कूलों में मिड डे मील को बनाने और उसके साफ-सफाई का ध्यान रखने के लिए सरकार की तरफ से कई गाइडलाइंस भी बनाए गए हैं, लेकिन कई बार गाइडलाइंस को ध्यान में न रखने की वजह से बच्चों की जान पर बन आती है. दूषित मिड डे मील की वजह से बिहार में 100 के करीब बच्चों की तबीयत सोमवार के दिन खराब हो गई.
बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले के बगहा में मिड डे मील खाने की वजह से 100 से ज्यादा बच्चे बीमार पड़ गए. पूरी घटना बगहा के भैरवगंज थाना क्षेत्र के बांसगांव-परसौनी के राजकीय मध्य विद्यालय की है. दोपहर करीब 12:30 बजे मिड डे मील खाने के बाद अधिकांश बच्चे एक के बाद एक बीमार होने लगे. इतने बच्चों के एक-साथ बीमार होने के बाद स्कूल में अफरा-तफरी मच गई, बच्चों को तुरंत ही पास के पीएचसी में इलाज के लिए ले जाया गया, जहां पर स्थिति को नाजुक देखकर सभी बच्चों को अनुमंडलीय अस्पताल बगहा रेफर किया गया.
अनुमंडलीय अस्पताल में बच्चों का हो रहा है इलाज
बच्चों के बीमार पड़ने की सूचना जैसे ही अभिभावकों को लगी सभी भाग कर स्कूल और अस्पताल में जुट गए. आनन-फानन में एंबुलेंस में बच्चों को लेकर अस्पताल पहुंचाने की प्रक्रिया शुरू हुई. बगहा के अनुमंडलीय अस्पताल में 64 बच्चों को और रामनगर में 40 बच्चों को इलाज के लिए ले जाया गया. वही दो बच्चों को बेहतर इलाज के लिए बेतिया भेजा गया है.
खबरों के मुताबिक सोमवार के मेन्यू के अनुसार बच्चों को चावल, दाल व सब्जी दी गई थी. लंच टाइम में खाने के कुछ देर बाद ही बच्चों की तबीयत बिगड़ने लगी. कुछ बच्चों ने सर दर्द की शिकायत की तो कुछ बच्चों ने उल्टी करना शुरू कर दिया. बच्चों ने बताया कि खाने में से मिट्टी के तेल (केरोसिन) की तेज महक आ रही थी.
बीमार हुए सभी बच्चों की उम्र 7 साल से 14 साल के बीच बताई जा रही है. पूरी घटना के बाद पुलिस ने भी मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच चालू कर दी है.
इसके पहले भी बगहा प्रखंड में राजकीय मध्य विद्यालय नरवाल में मिड डे मील खाने से ढाई सौ बच्चे बीमार हुए थे. जिसकी जांच मानवाधिकार आयोग ने की थी.