पटना हाईकोर्ट ने आर्म्स लाइसेंस को लेकर नया फरमान जारी किया है. हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में यह कह दिया कि आर्म्स लाइसेंस लेने के लिए जान का खतरा होना जरूरी नहीं है. खगड़िया में पेट्रोल पंप की सुरक्षा के लिए आर्म्स लाइसेंस के लिए आवेदन करने वाले एक रिटायर्ड फौजी की याचिका पर पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए फैसला सुनाया. हाईकोर्ट के जज ने डीएम के आदेश को गलत बताते हुए स्पष्ट किया कि किस आधार पर मूल्यांकन कर आर्म्स लाइसेंस जारी करना चाहिए.
सोमवार को हाईकोर्ट ने अपने फैसले में साफ किया कि अगर कोई व्यक्ति आर्म्स लाइसेंस लेना चाहता है, तो उसका आवेदन केवल इस आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता कि आवेदक को जान का खतरा नहीं है. यह केंद्र सरकार की नई शास्त्र नियमावली 2016 के खिलाफ है. आवेदक के पेशे और व्यापार का मूल्यांकन करना जरूरी है. जिसकी सुरक्षा के लिए आर्म्स जरूरी होता है.
न्यायमूर्ति मोहित कुमार शाह की एकलपीठ ने रंजन कुमार मंडल की रीट याचिका को मंजूर करते हुए फैसला सुनाया. रंजन कुमार एक रिटायर्ड फौजी है और भारतीय सेवा से सेवानिवृत होने पर उन्हें केंद्र सरकार ने एक पेट्रोल पंप मुहैया कराया था. खगड़िया के परबत्ता थाने के पास उन्होंने हाईवे पर पेट्रोल पंप की सुरक्षा के लिए आर्म्स लाइसेंस का आवेदन खगड़िया डीएम को दिया था. लेकिन डीएम ने आवेदन को खारिज कर दिया. पुलिस रिपोर्ट में बताया गया कि रंजन को जान का कोई खतरा नहीं है. डीएम के आदेश के खिलाफ मुंगेर के आयुक्त के पास अपील की गई, लेकिन पुलिस रिपोर्ट को आधार बताते हुए उक्त अपील को भी खारिज कर दिया गया था.