Advertisment

उज्ज्वला योजना: बिहार की 63% आबादी आज भी LPG सिलेंडर से दूर क्यों?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 मई 2016 को उत्तर प्रदेश के बलिया से' प्रधानमंत्री उज्जवला योजना' की शुरुआत की थी. जिसका उद्देश्य मार्च 2020

author-image
Pallavi Kumari
Jul 26, 2023 13:18 IST
New Update
उज्ज्वला योजना: बिहार की 63% आबादी आज भी LPG सिलेंडर से दूर क्यों?
Advertisment

उज्ज्वला योजना: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 मई 2016 को उत्तर प्रदेश के बलिया से 'प्रधानमंत्री उज्जवला योजना' की शुरुआत की थी. जिसका उद्देश्य मार्च 2020 तक 8 करोड़ परिवारों को गैस कनेक्शन (Gas Connection) देना था. अभी तक प्रधानमंत्री उज्जवला योजना (PMYU) के तहत 9.59 करोड़ कनेक्शन दिए जा चुके हैं.

publive-image

योजना के दूसरे चरण यानी उज्जवला 2.0 के तहत देश 1.59 करोड़ नये उपभोक्ताओं को गैस सिलेंडर दिया गया है.

Advertisment

बिजली, एलपीजी/प्राकृतिक गैस या बायोगैस, खाना पकाने के ईंधन के उन्नत या सुरक्षित स्रोतों में शामिल हैं. यहां यह महत्वपूर्ण है कि घर में खाना पकाने के लिए ईंधन का बेहतर और सुरक्षित स्रोत एलपीजी ही है. लेकिन गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों के लिए एलपीजी गैस का उपयोग करना संभव नहीं था. इसी समस्या को दूर करने एक लिए उज्जवला योजना की शुरुआत की गई थी. ताकि ग्रामीण और वंचित समुदाय की महिलाएं खाना बनाने के लिए लकड़ी, कोयला और गोबर के उपले जैसे प्रदूषण फैलाने वाले पारंपरिक ईंधन का उपयोग करना बंद कर दें.

लेकिन योजना के सात साल बीतने के बाद भी देश की 43.90% आबादी आज भी स्वच्छ इंधन का उपयोग नहीं कर पा रही है.

नीति आयोग की रिपोर्ट में उज्जवला योजना का ज़मीनी हकीकत बयान

Advertisment

नीति आयोग के मल्टीडाइमेंशनल पोवर्टी इंडेक्स 2023 के अनुसार देश की 43.90% आबादी स्वच्छ इंधन यानी एलपीजी सिलेंडर का उपयोग नहीं कर रही है. हालांकि इस आंकड़ें में 14.6% की कमी आई है. क्योंकि साल 2015-16 में 58.47% आबादी ऐसी थी जिनके पास स्वच्छ इंधन का स्रोत नहीं था. स्वच्छ इंधन के उपयोग में बढ़ोतरी के श्रेय यहां उज्जवला योजना को दिया जा सकता है.

हालांकि राज्यवार इस आंकड़े को देखा जाए तो देश के 13 राज्यों की 50% आबादी आज भी गैस कनेक्शन से दूर हैं. झारखंड की 69.12%, मेघालय की 67.63%, छत्तीसगढ़ की 66.85%, ओडिसा की 65.94% और बिहार की 63.30% आबादी आज भी लकड़ी, कोयला, डंठल या उपले का उपयोग खाना बनाने में कर रही है.

उज्ज्वला योजना
Advertisment

एलपीजी दाम बढ़ने के कारण सिलेंडर रिफ़िल नहीं करा रहीं महिलाएं 

बिहार में उज्जवला योजना के पहले चरण में 84,79,729 कनेक्शन दिए गये थे. जबकि जुलाई 2022 तक उज्जवला 2.0 के तहत 19,60,641 कनेक्शन दिया गया था. पीआईबी रिपोर्ट के अनुसार राज्य में 3,66,64,084 ने सिलेंडर रिफिल कराया था जिसमें से 55,67,671 परिवार वैसे हैं जिन्होंने चार या उससे कम रिफ़िल भराया था.

गैस के दाम बढ़ने के कारण गैस कनेक्शन मिलने के बाद भी ग्रामीण परिवार सिलेंडर रिफ़िल कराने में सक्षम नहीं है. शेखपुरा जिले के सनैय्या पंचायत के महादलित टोला में रहने वाली महिलाओं को उज्जवला योजना के तहत मुफ़्त गैस कनेक्शन दिया गया था. गैस सिलेंडर और चूल्हा मिलने के बाद महिलाओं ने शुरुआती दो चार महीने तो गैस चूल्हे पर खाना बनाया लेकिन गैस का दाम बढ़ने के बाद महिलाओं ने वापस मिट्टी के चूल्हे पर खाना बनाना शुरू कर दिया है.

Advertisment

सहनौरा गांव कि रहने वाली ग्रामीण महिला बताती हैं

गैस का दाम बढ़ गया है. गैस चूल्हा देते  वक्त बोला गया था कि 600 रुपया में गैस भराया (रिफिल) जाएगा. लेकिन अब जब भराने जाते हैं तो 1200 रुपया लगता है. गरीब आदमी है पेट चलायें (खाना का प्रबंध) कि गैस भराएं. बच्चा को भूखा तो नहीं रखेंगे इसलिए लकड़ी-पत्ता जलाकर खाना बनाते हैं.

ईंट भट्टा पर काम करने वाली महिला मजदूर डेमोक्रेटिक चरखा को बताती हैं

Advertisment

हम लोग भट्टा पर काम करने वला मज़दूर हैं. पैसा ही नहीं बचता है कि गैस भराएं. इसलिए जंगल-झाड़ से गंदा लकड़ी और पत्ता चुनकर लाते हैं और उसी से खाना बनाते हैं.

जलावन का इस्तेमाल पड़ता है ज़्यादा सस्ता

महिलाओं का आरोप है कि सिलेंडर भरवाने के बाद उन्हें समय पर सब्सिडी भी नहीं मिलता है. जिसके कारण भी उन्होंने दोबारा सिलेंडर भरवाना छोड़ दिया है.

Advertisment

औरंगाबाद के हसपुरा प्रखंड में भी कई परिवारों को उज्जवला योजना का लाभ नहीं मिल रहा था. डेमोक्रेटिक चरखा द्वारा रिपोर्ट बनाए जाने के बाद यहां महिलाओं को इसका लाभ दिया गया. मगर सिलेंडर के बढ़ते दाम और सब्सिडी मिलने में होने वाली देर के कारण इन परिवारों ने दोबारा सिलेंडर रिफ़िल कराना छोड़ दिया.

उज्ज्वला योजना

वहीं जो लोग दोबारा सिलेंडर रिफ़िल करवा भी रहे हैं वो वक्त-बेवक्त पड़ने वाली ज़रुरत को ध्यान में रखकर कर रहे हैं. नालंदा की रेणु कुमारी कहती हैं

गांव में जलावन आसानी से मिल जाता है. जो की गैस सिलेंडर से सस्ता है तो हम लोग गैस क्यों भराएं. अब तो केवल बेला-मौका (कभी-कभार) के लिए सिलेंडर भरा के रखते हैं. मेरा एक सिलेंडर एक साल चल जाता है.

सात सालों में दोगुने हुए गैस सिलेंडर के दाम

पीएम उज्जवला योजना के शुरुआत में गैर-सब्सिडी एलपीजी सिलेंडर 630 से 650 रुपए के बीच रिफ़िल होता था. जिस पर सरकार करीब 200 रुपये की सब्सिडी देती थी. साल में 12 सिलेंडर सब्सिडी में मिला करती थी 12 के बाद सिलेंडर रिफ़िल कराने पर सब्सिडी नहीं मिलती थी. पर गैस के लगातार बढ़ते दामों के कारण आज उन्हीं गैर-सब्सिडी वाले एलपीजी सिलेंडर को रिफिल कराने के लिए 1150 रुपए ख़र्च करने पड़ रहे हैं.

हालांकि केंद्र सरकार ने मई 2022 के बाद पीएम उज्जवला योजना के लाभार्थियों को साल में 12 सिलेंडर सिफिल कराने पर 200 रुपये प्रति सिलेंडर सब्सिडी दे रही है. जिसकी समयावधि बढ़ाकर अब 31 मार्च 2024 तक कर दिया गया है. 

सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियां यानि इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (IOCL), भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HPCL) मई, 2022 के पहले से ही यह सब्सिडी प्रदान कर रही हैं.

उज्ज्वला योजना

उज्ज्वला योजना से मिलने वाले गैस कनेक्शन, 5 साल में किसी ने भी नहीं कराया सिलेंडर रिफ़िल

साल 2022 के मानसून सत्र में पेट्रोलियम राज्यमंत्री रामेश्वर तेली ने संसद में लिखित में जानकारी दी थी कि बीते पांच सालों में 4.13 करोड़ प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों ने एक भी एलपीजी सिलेंडर रिफिल नहीं करवाया है. उन्होंने बताया कि कुल 7.67 करोड़ लाभार्थी ऐसे हैं जिन्होंने केवल एक एलपीजी सिलेंडर रिफिल करवाया है.न्यूज़

संसद में दी गयी जानकारी के अनुसार 2021-22 में कुल 30.53 करोड़ एक्टिव एलपीजी कस्टमर्स में से 2.11 घरेलू एलपीजी कस्टमर्स ने एक भी सिलेंडर रिफिल नहीं कराया है. जबकि 2.91 करोड़ एलपीजी कस्टमर्स ने केवल एक सिलेंडर रिफिल कराया है.

प्रेस सूचना ब्यूरो (PIB) द्वारा जारी किए गए आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार पीएमयूवाई उपभोक्ताओं की औसत एलपीजी खपत 2019-20 में 3.01 रिफिल थी जो 2021-22 में बढ़कर 3.68 रिफिल हुई है. वहीं इसपर वित्त वर्ष 2022-23 में 6,100 करोड़ रुपये ख़र्च किये गये थे जिसे 2023-24 में बढ़ाकर  7,680 करोड़ रुपये किया गया है.

महिलाओं के स्वास्थ्य और सुरक्षा के उद्देश्य से शुरू की गई इस लाभकारी योजना पर गैस के बढ़ते दामों ने ग्रहण लगा दिया है. ग्रामीण महिलाएं चाहकर भी गैस चूल्हे का प्रयोग खाना बनाने में नहीं कर पा रही हैं. कोई भी लाभकारी योजना तभी सफ़ल और कारगर साबित हो सकती है जब उसका संचालन संतुलन के साथ किया जाए.  

#LPG सिलेंडर