शहरी स्वास्थ्य केंद्रों (UPHC) की स्थिति सुधरी, डॉक्टर और दवा नियमित तौर से उपलब्ध

स्वास्थ्य व्यवस्था राज्य के विकास के लिए काफ़ी ज़रूरी है. हाल में NITI AAYOG की रिपोर्ट ने बताया कि बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था पूरे देश में सबसे ख़राब है. पिछले एक साल से Democratic Charkha की टीम ने पटना और बेगूसराय की स्वास्थ्य व्यवस्था के ऊपर लगातार रिपोर्टिंग कर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC), प्राथमिक उपस्वास्थ्य केंद्र (HSC) और शहरी स्वास्थ्य केंद्र (UPHC) की लचर स्थिति को सबके सामने लाया था

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स्वास्थ्य व्यवस्था राज्य के विकास के लिए काफ़ी ज़रूरी है. हाल में NITI AAYOG की रिपोर्ट ने बताया कि बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था पूरे देश में सबसे ख़राब है. पिछले एक साल से Democratic Charkha की टीम ने पटना और बेगूसराय की स्वास्थ्य व्यवस्था के ऊपर लगातार रिपोर्टिंग कर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC), प्राथमिक उपस्वास्थ्य केंद्र (HSC) और शहरी स्वास्थ्य केंद्र (UPHC) की लचर स्थिति को सबके सामने लाया था. अप्रैल के महीने में Democratic Charkha की टीम ने पटना के संदलपुर और पूर्वी लोहानीपुर के UPHC के बंद होने की ख़बर पब्लिश की थी.

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ख़बर के पब्लिश होने के बाद सिविल सर्जन, पटना ने ये कहा था कि

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"स्वास्थ्य व्यवस्था दुरुस्त है लेकिन आपके माध्यम से जो जानकारी मिली है उसकी जांच हमलोग करेंगे और जल्द ही नतीजे आपके सामने होंगे"

सिविल सर्जन की जांच के बाद Democratic Charkha की रिपोर्ट से बड़ा बदलाव आया है. संदलपुर UPHC की जर्जर स्थिति को ठीक करके उसे दुबारा शुरू कर दिया गया है.

मरम्मतीकरण के दौरान भी Democratic Charkha की टीम ने कई बार फॉलो-अप लेने का काम किया था.

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संदलपुर UPHC के अलावा बिहार की सबसे बड़ी बस्ती कमला नेहरू नगर में भी डॉक्टर की कमी थी जिसकी रिपोर्ट Democratic Charkha ने बनायी थी. अब कमला नेहरू नगर में भी डॉक्टर की सुविधा उपलब्ध कर दी गयी है. कमला नेहरू नगर में रहने वाली झिमिया देवी बताती हैं

"पहले इस अस्पताल में डॉक्टर नहीं रहते थे. सिर्फ़ नर्स रहती थी और वही दवा दे देती थी लेकिन अब यहां पर डॉक्टर भी रहते हैं. जब आप लोग माइक लेकर आये थे और तस्वीर लिए थे उसके कुछ दिन बाद यहां डॉक्टर आने लगे हैं. अब हमलोग का इलाज डॉक्टर करते हैं और अब हम प्राइवेट में इलाज नहीं करवाते हैं और हमारा पैसा बचता है"

कमला नेहरू नगर बस्ती में लगभग 5 हज़ार लोग रहते हैं जो दलित, अल्पसंख्यक और ट्रांसजेंडर हैं. यहां के अधिकांश लोग दैनिक मज़दूर हैं जो नगर निगम और घरेलू मददगार के तौर पर काम करते हैं

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Democratic Charkha की एक रिपोर्ट में हमने बताया था कि पूर्वी लोहानीपुर का UPHC अधिकांश समय बंद ही रहता है और जब खुलता है उस समय भी डॉक्टर मौजूद नहीं रहते हैं. लेकिन अब पूर्वी लोहानीपुर का UPHC में डॉक्टर OPD में सुबह 8 बजे से बैठते हैं और लोगों का इलाज सुचारू ढंग से होता है.

पटना के स्वास्थ्य विभाग ने शहरी इलाकों के UPHC में सुधार तो किया है लेकिन अभी भी जिला अस्पतालों और ग्रामीण अस्पतालों की स्थिति काफ़ी दयनीय है. साथ ही Democratic Charkha मूलभूत समस्याओं की रिपोर्ट लोगों तक पहुंचाने का काम करता रहेगा.

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