साल 2018 से बिहार सरकार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के छात्रों को बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की प्रारंभिक परीक्षा पास करने पर 50 हजार और संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की प्रारंभिक परीक्षा पास करने पर 1 लाख रूपए की एकमुश्त राशि मुख्य परीक्षा (Mains) की तैयारी करने के लिए दे रही है.
नालंदा जिले के नूरसराय के रहने वाले बिपुल कुमार पटना के महेन्द्रू में रहकर सिविल सेवा की तैयारी करते हैं. बिपुल कुमार को एससी-एसटी सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना के तहत सहायता राशि मिली है. बिपुल कुमार बताते हैं
साल 2019 में मैंने बीपीएससी पीटी का एग्जाम क्लियर किया था जिसके बाद मुझे सहायता राशि मिली थी. एससी एसटी वर्ग सामाजिक के साथ-साथ आर्थिक तौर पर भी पिछड़ा हुआ है. ऐसे में सिविल सेवा जैसी बड़ी परीक्षाओं की तैयारी करने के लिए समय और संसाधन दोनों की आवश्यकता होती है. पीटी एग्जाम पास करने के बाद मेंस (मुख्य परीक्षा) की तैयारी के लिए अच्छे गाइड और किताबों की आवश्यकता होती है. सिविल सेवा प्रोत्साहन राशि इसमें बहुत मदद करती है.
बिपुल आगे बताते हैं
मैं अपना ही उदाहरण देता हूं. पीटी निकलने के बाद मैं अच्छे कोचिंग की तलाश में था लेकिन फीस ज्यादा होने से मैं उसे ज्वाइन करने में असमर्थ था. लेकिन प्रोत्साहन राशि मिलने के बाद मैंने टेस्ट सीरीज़ ज्वाइन किया जिसके लिए उस वक्त मुझे 30 हजार रूपए लगे थे.
बिहार सरकार साल 2018 से राज्य में मुख्यमंत्री अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना चला रही है. इस योजना के तहत बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की प्रारंभिक परीक्षा पास करने पर 50 हजार और संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की प्रारंभिक परीक्षा पास करने पर 1 लाख रूपए की एकमुश्त राशि मुख्य परीक्षा की तैयारी के लिए दी जाती है.
सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना के कारण पिछड़े वर्गों के छात्रों को मुख्य परीक्षा की तैयारी करने में काफ़ी सहायता मिली है. छात्रों का कहना है कि पहले मेंस या इंटरव्यू की तैयारी पैसे की कमी के कारण अच्छे से नहीं हो पाती थी. लेकिन जब से यह योजना लागू हुई है हम सिविल सेवा की तैयारी बिना किसी आर्थिक दबाव के कर पा रहे हैं.
गांव में दूसरे के खेतों में मजदूरी करके महीने के 5 से 6 हजार भेजना काफ़ी मुश्किल भरा लक्ष्य है. बच्चों के भविष्य के लिए माता-पिता कठिन लक्ष्य भी उठा लेते हैं. लेकिन कभी कभी पैसों की ज्यादा ज़रूरत उनकी पहुंच से दूर हो जाती है. सिविल सेवा की तैयारी उन्हीं परीक्षाओं में से एक है. हमारे समुदाय की भागीदारी सिविल सेवा में बढ़ाने के लिए आर्थिक सहायता की बहुत आवश्यकता है.
ये कहना है बिपुल कुमार का.
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति कल्याण विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार साल 2018 में हुए 63वीं बीपीएससी में 477 छात्रों को सहायता दी गई. 64वीं बीपीएससी में 1,722 छात्र, 65वीं बीपीएससी में 207, 66वीं बीपीएससी में 711 और 67वीं बीपीएससी में 653 छात्रों को सिविल सेवा प्रोत्साहन सहायता राशि दी गई है.
मुख्यमंत्री अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना के तहत यूपीएससी 2018 में 46 छात्रों को सहायता राशि दी गई है. यूपीएससी 2019 में 15, यूपीएससी 2020 में 15, यूपीएससी 2021 में 13 और यूपीएससी 2022 में 25 छात्रों को सहायता राशि दी गई है.
बिहार में पिछले 5 वर्षों में 4,092 आवेदन आए हैं जिनमें से 3,884 एससी-एसटी छात्रों को यूपीएससी और बीपीएससी का पीटी क्लियर करने के बाद प्रोत्साहन राशि दी गई है.
वहीं राज्य में पिछले 5 वर्षों में 7,616 एससी-एसटी के छात्रों ने यूपीएससी और बीपीएससी का पीटी क्लियर किया है. जिसमें 17 सौ लड़कियां भी शामिल हैं. साल 2021-22 में सबसे अधिक 4,414 छात्रों ने पीटी क्वालीफाई किया है जिसमें 700 से ज्यादा लड़कियां हैं. वहीं योजना लागु होने के बाद से मेंस देने वाले छात्रों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है.
योजना लाभ केवल एक बार
योजना का लाभ लेने के लिए सबसे पहले छात्र का एससी-एसटी वर्ग का होने के साथ-साथ बिहार का स्थायी निवासी होना भी आवश्यक है. पीटी एग्जाम क्लियर करने वाले छात्रों को इस योजना का लाभ एक बार ही दिया जाता है. साथ ही आवेदक का पूर्व से किसी सरकारी सेवा में कार्यरत नहीं होना चाहिय. हालांकि यहां आय संबंधी कोई मानक (criteria) नहीं रखा गया है.
मुफ्त कोचिंग सुविधा भी दे रही है सरकार
बिहार में प्रोत्साहन राशि की वजह एससी-एसटी वर्ग से तैयारी करने वाले छात्रों की संख्या में इजाफा हुआ है. साथ ही सरकार की ओर से राज्य के प्रत्येक जिले में मुफ्त कोचिंग क्लास भी चलाई जा रही है. कोचिंग में दाखिले के लिए प्रवेश परीक्षा (Entrance exam) का आयोजन किया जाता है. जिसमें पास होने वाले छात्रों को ही प्रवेश दिया जाता है.
छह महीने की अवधि वाले कोचिंग क्लास में एक वर्ष में 240 छात्रों को तैयारी करवाई जा रही है. राज्य के 38 जिलों में प्रति वर्ष 9,120 छात्रों को तैयारी करवाई जाती है.
कोचिंग क्लास में तैयारी करने वाले छात्र सिविल सेवा के आलावे अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में भी सफलता प्राप्त कर रहे हैं. साथ ही पटना में रहने वाले छात्रों को 1500 रूपए और अन्य जिलों के बच्चों को 3000 रूपए महीने में आर्थिक सहायता भी दी जाती है.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने लखनऊ में आयोजित एक कार्यकर्म के दौरान जनजातीय समुदाय के छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि ‘जनजाति समाज के लोग खुद को पिछड़ा मानना छोड़ें और सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर हर संभव आगे बढ़ने का प्रयास करें. साथ ही समुदाय के पढ़े-लिखे बच्चे प्रतियोगी परीक्षाओं में भी भाग लेकर आगे बढ़ें.’
राष्ट्रपति मुर्मू का यह सन्देश देश के सभी जनजातीय समुदाय के छात्रों के लिए प्रेरणादायक है.