अधिकांश जिला अस्पतालों की स्थिति ख़राब है. जिसकी वजह से PMCH, NMCH और IGIMS पर ज़्यादा बोझ पड़ रहा है.

उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव के मिशन 60 के बाद भी स्थिति में सुधार नहीं आया

जिला अस्पताल में इलाज नहीं होने की वजह से हर बीमारी में मरीज़ों को पटना आना पड़ता है.

बेड नहीं होने की वजह से कई बार सरकारी अस्पतालों में मरीज़ों की मौत हो जाती है.

हाल में IGIMS में बेड ख़ाली नहीं होने की वजह से एक मरीज़ की मौत हो गयी थी.

इंडियन पब्लिक हेल्थ स्टैंडर्ड की तुलना में बिहार में बेड की कमी 52% से 92% के बीच थी.

10 लाख की आबादी पर एक अस्पताल होना चाहिए और इसका ‘बेड ऑकुपेंसी रेट’ 80% होना चाहिए.

बिहार की आबादी (लगभग 12 करोड़) के अनुसार प्रत्येक जिला अस्पताल में कम से कम 220  बेड होने चाहिए.