पश्चिम चंपारण के बगहवांहाड़ गांव के निवासी रमाकांत राम की मृत्यु दिसंबर 2021 में बिजली के 11 हज़ार वोल्ट तार के चपेट में आने से हो गयी. रमाकांत राम अपने परिवार के अकेले कमाऊ (काम करने वाले) व्यक्ति थे. उनकी मृत्यु के बाद परिवार में उनकी पत्नी के अलावा पांच बेटियां और दो बेटे हैं.
परिवार के कमाऊ व्यक्ति के असमय मौत होने से परिवार की आर्थिक स्थिति काफ़ी दयनीय हो चुकी है. सरकारी नियम के अनुसार अगर किसी व्यक्ति की मौत बिजली के तार के चपेट में आने से हो जाती है तो उसके परिवार को मुआवज़ा दिया जाता है. अगर व्यक्ति की मौत बिजली विभाग की गलती के कारण हुई है तो बिजली विभाग पीड़ित व्यक्ति के परिवार को मुआवज़े के तौर पर चार लाख रूपए दिए जाते हैं. लेकिन रमाकांत राम के परिवार को उनकी मौत के डेढ़ साल बीतने के बाद भी मुआवजे की राशि नहीं दी गयी है.
जबकि नियम के अनुसार पीड़ित परिवार को 15 दिनों के अंदर मुआवजे की राशि दे दिया जाना चाहिए.
मुआवज़ा देने से इंकार कर रही बिजली कंपनी
रमाकांत राम दूसरे के खेत में लगे बांस के पत्ते तोड़ने गये थे. बांस के खेत के ऊपर से 11 हज़ार वोल्ट का तार गुजरा हुआ है. उसी तार में बांस का पेड़ सटा हुआ था जिससे उस पेड़ में करंट आ रहा था. रमाकांत की नज़र हाईटेंशन तार पर नहीं पड़ी और वो इसकी चपेट में आ गये जिससे उनकी मौत हो गयी.
रमाकांत राम के बड़े बेटे शैलेश कुमार (17 वर्ष) घटना के बारे में बताते हैं
हमारे पास खेत नहीं है. घटना वाले दिन मेरे पिता दुसरे के खेत के बगल में लगे बांस के पेड़ का पत्ता चुनने गये थे. उस जमीन के ऊपर से 11 हज़ार वोल्ट का तार गया हुआ है. बांस का पेड़ उस तार में सटा हुआ था जिसके कारण पेड़ में करंट आ रहा था. उसी करंट की चपेट में आने से मेरे पिता की मौत हो गयी.
मौत की सूचना पुलिस और बिजली विभाग के अधिकारियों को दी गयी. पुलिस ने मौके पर आकर जांच किया लेकिन बिजली विभाग के किसी अधिकारी ने घटना का जाएज़ा नहीं लिया.
शैलेश बताते हैं
खेत के ऊपर से हाईटेंशन तार गया हुआ था. चूंकि बांस के पेड़ लंबे होते हैं और वो तार में सट सकते हैं. इसलिए इस घटना के पहले भी गांव के लोगों ने बिजली विभाग को सूचना दिया था कि सुरक्षा के लिहाज़ से कुछ समय के अंतराल पर उस जगह को देख लें. लेकिन उनलोगों ने कोई ध्यान नहीं दिया और मेरे पिता की मौत हो गयी.
मुआवज़े के लिए बिजली विभाग में आवेदन देने पर विभाग इस घटना के लिए मृत व्यक्ति को ही दोषी ठहरा रहा है और मुआवज़ा देने से इंकार कर रहा है.
शैलेश बताते हैं
हमने जब बिजली विभाग में मुआवजे के लिए आवेदन दिया तो बिजली विभाग के अधिकारी उल्टे हमें ही दोषी ठहराने लगे. जब भी बिजली विभाग के ऑफिस जाता हूं तो वहां के अधिकारी गाली देकर भगा देते हैं. अधिकारियों का कहना है कि अगर तार टूटकर गिरा होता और उसके चपेट में आने से तुम्हारे पिता की मौत होती, तब हम मुआवज़ा देते.
सरकारी पक्ष का क्या कहना है?
डेमोक्रेटिक चरखा ने इस संबंध में मधुबनी प्रखंड के बिजली विभाग के एसडीओ से बात की. एसडीओ अखिलेश कुमार ने हमें बताय कि
इस घटना कि जानकारी हमें मिली है. दरअसल मृत व्यक्ति उस दिन बिना बिजली विभाग को जानकारी दिए पेड़ काट रहे थे. पेड़ कटने के बाद तार पर गिरा और उसके कारण ही उसमें करंट आ गया. अब इसमें बिजली विभाग कि तो कोई गलती नहीं है.
करंट लगने से हुई मौत पर मिलता है चार लाख मुआवज़ा
बिहार राज्य विद्युत विनियामक आयोग ने बिजली की वजह से हुई दुर्घटना में मौत या घायल हुए लोगों के लिए मुआवज़े का प्रावधान किया है. बिजली कंपनी की गलती से किसी को करंट लगता है और उसकी मौत हो जाती है, तो बिजली कंपनी को चार लाख रुपए बतौर मुआवज़ा पीड़ित परिवार को देना होता है. अगर करंट की वजह से किसी व्यक्ति के शरीर को 60% तक का नुकसान होता है, तो बिजली कंपनी को उसे दो लाख का मुआवज़ा देना होगा.
40% के नुकसान की स्थिति में मुआवजे की राशि 60 हज़ार होगी. करंट की वजह से हुई दुर्घटना में घायल व्यक्ति को हास्पिटल में भर्ती कराने के लिए 15 हज़ार और इलाज के लिए पांच हज़ार देने होंगे. हालांकि घायलों के इलाज के लिए मुआवज़े की राशि, अस्पताल में भर्ती होने की अवधि के अनुसार बढ़ भी सकती है.
मुआवज़े की राशि का भुगतान सिविल सर्जन द्वारा जारी डेथ सर्टिफिकेट के आधार पर किया जाता है. मृतक रमाकांत के केस में स्वास्थ्य विभाग द्वारा मौत का कारण करंट लगना बताया गया है. इसके बावजूद बिजली विभाग मुआवज़ा देने के लिए तैयार नहीं है.
रमाकांत राम की मौत का कारण करंट लगना ही है, तब बिजली विभाग मुआवजा क्यों नहीं दे रहा? इसपर एसडीओ कहते हैं
पोस्टमार्टम में मौत का कारण करंट लगना तो आ जाता है लेकिन करंट लगने का कारण क्या है, यह तो आसपास के लोगों के बयान पर ही तय किया जाता है.
एसडीओ आगे कहते हैं
मुआवज़ा क्लेम वैसी स्थिति में ही मिलता है जब गलती बिजली विभाग की हो. जैसे पहले से तार टूटकर गिरा हो या अचानक से तार टूटकर गिर जाए या तार में ख़राबी के कारण किसी चीज में बिजली दौड़ जाती है और उसके चपेट में कोई आ जाए.
रमाकांत के बेटे शैलेश कहते हैं
अगर आम व्यक्ति बिजली चोरी करते पकड़ा जाता है तो बिजली विभाग तुरंत जुर्माना लगा देती है. लेकिन जब बिजली विभाग के गलती से किसी आदमी का मौत हो जाती है तो मुआवज़ा देने में बहाना बनाता है.
कई विभागों का चक्कर लगा चुका है मृतक का परिवार
बिजली विभाग के महीनों चक्कर लगाने के बाद भी पीड़ित परिवार को मुआवजा नहीं दिया गया. थक हारकर पीड़ित परिवार ने फ़रवरी 2023 में अनुमंडल कार्यालय, बगहा में आवेदन दिया. साथ ही मार्च 2023 में बिजली विभाग के ख़िलाफ़ पुलिस अधीक्षक को भी आवेदन दिया. पुलिस प्रशासन की तरफ़ से महीनों बीतने के बाद भी पीड़ित परिवार को कोई मदद नहीं दिया गया. इसके बाद पीड़ित परिवार ने मई महीने में जिला अधिकारी, बेतिया को आवेदन दिया.
शैलेश बताते हैं
मुआवज़ा के लिए हर छोटे-बड़े ऑफिस में आवेदन दे चुके हैं. डीएम कार्यालय में भी आवेदन दिए. डीएम साहब मेरे से ही नंबर लेकर बिजली ऑफिस के अधिकारी से बात किए थे. बिजली ऑफिस में एसडीओ सर बोलते हैं हम कैसे मुआवज़ा दे हमको समझ नहीं आ रहा. जबकि जब डीएम साहब बात किये थे तब एसडीओ सर सात दिन का समय मांगे थे. लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ है.
हालांकि मधुबनी प्रखंड के एसडीओ इसतरह के किसी भी आश्वासन से इंकार करते हैं और कहते हैं
हमने कभी ऐसा नहीं कहा कि सात दिनों के अंदर मुआवजा मिलेगा. हम केवल मामले की रिपोर्ट बनाकर भेजते हैं. फिर इंश्योरेंस कंपनी उसकी जांच करती है.
पटना हाईकोर्ट के अधिवक्ता और कानूनी विशेषज्ञ विशाल कुमार कहते है कि अगर पीड़ित परिवार को वैध कारणों के बावजूद मुआवजा नहीं दे रहा है तो पीड़ित पक्ष अनुमंडल लोक शिकायत पदाधिकारी के पास शिकायत करें. अगर बात फिर भी ना बनें तो उच्च न्यायालय में रिट याचिका डालें.
बिहार में ये मामला पहला नहीं है जिसमें परिवार को उसका अधिकार नहीं मिल रहा है. अधिकांश मामलों में परिवार को बिजली कंपनी मुआवज़ा देने से कतराती है. ऐसे में बिहार में जटिल मुआवज़ा प्रक्रिया होने की वजह से परिवारों को उचित न्याय नहीं मिल पाता है.