न्यू पेंशन स्कीम से आखिर क्यों परेशान हैं सरकारी कर्मचारी?

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न्यू पेंशन स्कीम से आखिर क्यों परेशान हैं सरकारी कर्मचारी?
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सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ बिहार में कार्यरत एक कर्मचारी नाम नहीं बताने की शर्त पर बताते है

जब यह स्कीम आई तब हमे इसे अच्छी तरह से समझ नहीं पाए थे. लेकिन अब हमे एहसास हो रहा है कि इस योजना के तहत हमारा बुढ़ापा कैसे सुरक्षित हो पायेगा? अभी हमारी सैलरी का 18 से 20 प्रतिशत नेशनल पेंशन स्कीम के लिए काट लिया जाता है और उतना ही पैसा सरकार हमारे अकाउंट में जमा करती है. जो रिटायर होने पर हमें 60 या 40 के अनुपात में एकमुश्त राशि लेने का विकल्प देता है. और बची राशि वापस जमा कर ली जाती है जिसे एक मासिक क़िस्त के तौर पर दिया जाता है.

नई पेंशन स्कीम के विरोध में पूरे देश में आन्दोलन चल रहा है. पुरानी पेंशन स्कीम को लागू करवाने के लिए सरकारी कर्मचारी एकजुट होकर आवाज उठा रहे हैं. न्यू पेंशन स्कीम में मिलने वाले सुविधाओं से सरकारी कर्मचारी संतुष्ट नहीं हैं. सरकारी कर्मचारियों का कहना है कि न्यू पेंशन स्कीम में उनका भविष्य सुरक्षित नहीं है.

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पुरानी पेंशन स्कीम को वापस लागू कराने के लिए सरकारी कर्मचारी संघ के सदस्यों द्वारा लगातार आवाज उठाया जा रहा है. इस बीच राजस्थान और छत्तीसगढ़ के बाद झारखंड सरकार ने भी पुरानी पेंशन स्कीम को राज्य में लागू कर दिया है. जिसके बाद अन्य राज्यों में भी इसकी मांग तेज होने की आशंका है.

वहीं कर्मचारियों का कहना है कि नये और पुराने पेंशन स्कीम की आड़ में संविधान में मिले ‘समानता के अवसर’ के अधिकार का हनन हो रहा है. एक ही कार्य की समाप्ति के बाद किसी को कुछ तो किसी को कुछ सम्मान देना कहां का न्याय है.

क्यों बंद हुई पुरानी पेंशन स्कीम

दरअसल, पुरानी पेंशन व्यवस्था को हटाने और नई पेंशन स्कीम लागू करने के पीछे सरकार का यह तर्क था कि वह पेंशन का काम अपने जिम्मे से हटाना चाहती है. साल 2004 में सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन स्कीम को बंद कर दिया गया और उसी साल के 1 अप्रैल से यह व्यवस्था बंद हो गई. इसके बदले सरकार ने नए नेशनल पेंशन सिस्टम को शुरू किया. जिसके बाद पेंशन से ज़ुरा सारा ज़िम्मा बीमा कंपनी के हाथ में चला गया. और कर्मचारियों को मिलने वाला पेंशन स्टॉक मार्केट और इंश्योरेंस कंपनी के उऊपर निर्भर हो गया.

राम लखन सिंह यादव कॉलेज, बख्तियारपुर में असिस्टेंट प्रोफेसर मोहम्मद अली कहते हैं

आप प्राइवेट नौकरी की शुरुआत अगर 15 या 20 हजार से भी शुरू करते हैं तो भविष्य में अपने स्किल और कंपनी के चुनाव के आधार पर लाखों का पैकेज पा सकते हैं. लेकिन वहीं सरकारी नौकरी में यदि आपने 25 हज़ार से शुरू किया है तो रिटायरमेंट तक आप केवल निश्चित राशि तक ही सैलरी पा सकते हैं. लेकिन इन सबके बावजूद गरीब का बच्चा सरकारी नौकरी पाना चाहता है ताकि भविष्य में आने वाले उतार चढ़ाव में उसका परिवार सुरक्षित रहे. लेकिन सरकार की नई पेंशन स्कीम में सरकार कर्मचारी को सरकार का अंग या उसका परिवार नहीं मानती. 60-65 कि उम्र में रिटायर होने के बाद अगर कर्मचारी की मृत्यु हो गयी तो उसका परिवार आर्थिक रूप से कमज़ोर हो जायेगा. क्योंकि सरकार ना तो परिवार में से किसी को नौकरी और ना ही बाकी बची राशि देगी.  

नेशनल पेंशन स्कीम लागू होने के 18 सालों बाद आवाज उठाने का कारण क्या है? इसपर मोहम्मद अली कहते हैं

अभी हाल में हुई घटना आपको बताता हूं. नई पेंशन योजना के बाद सरकार ने डिफेंस में चार साल वाली नई योजना की शुरुआत की. सरकार द्वारा लायी गयी अग्निपथ योजना का देश में छात्रों द्वारा करा विरोध हुआ. जिसके बाद सरकार ने इसमें शामिल छात्रों को चिन्हित कर उनके आजीवन सरकारी नौकरी लेने से वंचित करने का फ़रमान ज़ारी कर दिया. इतने समय बाद आवाज़ उठाने का कारण है कि लोग डरते हैं- अरे! हम सरकारी नौकरी में हैं, कहीं मेरी नौकरी ना चली जाए, अरे! मैं तो संविदा पर हूं मैं कैसे आवाज़ उठाऊंगा, मैं आवाज़ उठाऊंगा तो मेरा तबादला कर दिया जाएगा, कहीं ईडी (ED) का छापा ना पड़ जाए जैसे कई डर लोगों के मन में बैठा दिया गया है.   

क्या है नई पेंशन स्कीम

लेकिन साल 2003 के अंत में अटल सरकार ने सरकारी नौकरी में मिलने वाली पुरानी पेंशन योजना को समाप्त करते हुए जनवरी 2004 से नई नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) को लागू कर दिया था. नई पेंशन स्कीम में कर्मचारी के वेतन से 10 फीसदी कटौती होती है और उतनी ही राशि सरकार उसमे मिलाकर निवेश करती है. राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS) शेयर बाजार पर आधारित है, बाजार के उतार चढ़ाव के आधार पर ही भुगतान होता है. रिटायरमेंट पर उसका जितना पैसा बनता है, उसका 60 फीसदी उन्हें भुगतान करने का प्रावधान है.

शेष 40 फीसदी पैसा फिर से निवेश करने का प्रावधान है. नेशनल पेंशन स्कीम में जनरल प्रोविडेंट फंड (GPF) की सुविधा को भी नहीं जोड़ा गया है. साथ ही रिटायरमेंट के बाद कर्मचारी की मौत पर उनके आश्रित पति या पत्नी को पेंशन नहीं देने का प्रावधान है. यदि सर्विस के दौरान कर्मचारी की मौत होती है तो फैमिली पेंशन मिलती है लेकिन जमा 40 प्रतिशत राशि सरकार के पास चला जाता है.

साथ ही महंगाई और पे कमिशन का भी फ़ायदा नहीं मिलता है. किसी तरह के मेडिकल सुविधा का भी कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं किया गया है. हालांकि सेवानिवृत होने के बाद मिलने वाले पैसे पर लगने वाला कर सरकार स्वयं देती है.

नेशनल पेंशन स्कीम के इन्हीं प्रावधानों के कारण सरकारी नौकरी को लेकर आम लोगों और साल 2004 के बाद नौकरी सरकारी नौकरी में आये लोगों के मन में असुरक्षा कि भावना ने घर कर लिया है. एक बड़े वर्ग का यह मानना है कि अपने जीवन का लंबा समय सरकार को देने के बाद यदि सरकार हमारे परिवार और हमारी आर्थिक सुरक्षा का ध्यान नहीं रखेगी तो कौन रखेगा?

मोहम्मद अली पुरानी पेंशन योजना पर बात करते हुए कहते हैं

पुरानी पेंशन योजना का सबसे बड़ा लाभ था कि यदि किसी व्यक्ति की नौकरी में रहते हुए अकाल मृत्यु हो जाती है तो उसके पत्नी या बच्चे में से किसी एक को सरकार अनुकंपा पर नौकरी देती थी. जिससे परिवार आर्थिक सुरक्षा के लिए निश्चित रहता था. वहीं अगर व्यक्ति अपना कार्यकाल पूरा कर रिटायर होता है तो उस कर्मचारी को उसके मूल वेतन का 50 प्रतिशत हिस्सा पेंशन के रूप में दिया जाता है. साथ ही रिटायरमेंट के बाद यदि पति या पत्नी में से किसी कि मौत हो जाती है तो उनमे से किसी एक को रिटायरमेंट की आधी राशि दिया जाता है. साथ ही मेडिकल कि सुविधा और छुट्टियां भी दी जाती हैं. लेकिन यह सारी सुविधाएँ नई पेंशन स्कीम में नहीं हैं.

पुरानी पेंशन स्कीम(OPS) में पेंशन के लिए वेतन से कोई कटौती नहीं होती है. ओल्ड पेंशन स्कीम में कर्मचारी को उसके मूल वेतन का 50 प्रतिशत हिस्सा पेंशन के रूप में दिया जाता है. साथ ही रिटायरमेंट के बाद मौत होने पर पत्नी को पेंशन कि आधी राशि का भुकतान किया जाता है. इसमें कर्मचारियों का महंगाई भत्ता भी शामिल है. आम कर्मचारियों की तरह ही पेंशनधारियों को भी हर 6 महीने में महंगाई भत्ता में होने वाले बदलाव का भी लाभ मिलता है.

80 वर्ष उम्र होने पर मूल पेंशन का 20 प्रतिशत बढ़ोतरी होता है, जो 85 साल होने पर 30 प्रतिशत, 90 साल होने पर 40 प्रतिशत, 95 साल होने पर 50 प्रतिशत और 100 साल होने पर 100 प्रतिशत बढ़ता है. पुरानी पेंशन योजना में जेनरल प्रोविडेंट फण्ड (GPF) की सुविधा है. जेनरल प्रोविडेंट फण्ड (GPF) के ब्याज पर किसी प्रकार का इनकम टैक्स भी नहीं लगता है. पुरानी पेंशन योजना एक सुरक्षित पेंशन योजना है और इसका भुगतान सरकार की ट्रेजरी के जरिए किया जाता है. वहीं रिटायरमेंट के बाद 20 लाख रुपए तक कि ग्रेच्युटी भी  मिलता है.

नई पेंशन योजना लागू होने के बाद राज्यों को इसे लागू करने के लिए स्वतंत्र रखा गया था. लेकिन स्वेक्षा से सभी राज्य सरकारों ने भी अंशदायी पेंशन योजना को अपने-अपने राज्य में घोषित कर दिया. बिहार सरकार ने अक्टूबर 2005 में राज्य में अंशदायी पेंशन योजना को लागू कर दिया था. साथ ही अक्टूबर 2005 तक या उसके बाद सरकारी सेवा में आए सरकारी  कर्मचारियों को अंशदायी पेंशन योजना में शामिल करने का निर्णय लिया था.

वर्तमान में बिहार सरकार के अंतर्गत 4 लाख से ज्यादा कर्मचारी और 3 लाख से ज्यादा पेंशनभोगी मौजूद हैं.