बिहार देश के उन राज्यों में सबसे ऊपर है, जिसे प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत देश में सबसे ज्यादा कोटा मिला हुआ है। उत्तर प्रदेश व पश्चिम बंगाल जैसे राज्य भी बिहार से पीछे हैं। यह आंकड़ा बिहार सरकार का है लेकिन हकीकत यह है कि सबसे ज्यादा कोटा आवंटन के बाद भी राज्य में लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है, जिससे इस अहम योजना का लाभ लोगों तक नहीं पहुंच पा रहा है।
बिहार के जमुई जिले के झाझा ब्लॉक के सिमुलतला निवासी बैगुन निशा और शाहिदा खातून भी वैसे ही लोगों में से हैं, जिनको कई बार प्रक्रिया पूरी करने और दस्तावेज जमा करने के बाद भी आज तक प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास का लाभ नहीं मिला।
जमुई के सिमुलतला की ही मोहम्मद ताहिर अंसारी की बीवी बैगुन निशा कहती हैं,
कितनी बार फरियाद करें, कोई सुनने वाला ही नहीं है। जब किसी ने हमारी बातों को नहीं सुना, ध्यान हीं नहीं दिया तो फिर थक हारकर हमने भी आवास का सपना छोड़ दिया।

इसी माह बिहार विधान परिषद में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत सरकारी आंकड़ों का हवाला देते हुए राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2022-23 में पीएम आवास योजना के तहत सबसे ज्यादा 11.49 लाख आवास का कोटा बिहार को दिया गया है। इसके लिए 13,800 करोड़ रूपये केंद्र सरकार की तरफ से मिलेंगे। उन्होंने इस बात की भी जानकारी दी कि 31 मार्च 2010 से पहले बने आवासों की मरम्मत के लिए सरकार 50 हजार रूपये दे रही है साथ ही एक जनवरी 1996 से पहले बने आवास योजना का लाभ लेने वालों को 1.20 लाख रूपये बिहार सरकार की तरफ से दिए जा रहे हैं।
भोजपुर जिले में एक ऐसा मामले सामने आया है, जो सरकारी की कार्यशैली पर ही सवाल उठा देता है। जिले के कोइलवर पंचायत में प्रधानमंत्री आवास योजना में इस तरह का घालमेल किया गया है कि जो भी सुन रहा है भौंचक हो जा रहा है। दरअसल यहां प्रधानमंत्री आवास योजना एक ऐसे आदमी की जमीन पर बन रहा है जो 1975 में पाकिस्तान जाकर बस गया और लाभुक का दूर-दूर तक उससे कोई रिश्ता भी नहीं हैं। मामले संज्ञान में आने के बाद विभागीय स्तर पर कार्रवाई की बात कही जा रही है।

भोजपुर जिले के कोइलवर नगर पंचायत के कोइलवर थाना अंतर्गत वार्ड नंबर पांच की निवासी कमरून निशा यहां की पुश्तैनी निवासी हैं। उनका नाम पीएम आवास योजना के लाभुकों की श्रेणी में था। वार्ड में कमरून निशा की जमीन का खाता नंबर 731 तथा खेसरा नंबर 2449 और रकबा करीब आठ डिसमिल है। जिसमें से करीब डेढ़ डिसमिल जमीन को कमरून निशा ने खरीदा है। योजना के तहत आवास कमरून निशा की मालिकाना हक वाली जमीन पर बनना चाहिए था, लेकिन सरकार के काम का आलम यह है कि आवास योजना के अंतर्गत जो घर सरकार द्वारा बनाया जा रहा है, उसका मालिक भारत में ही नहीं रहता है। दरअसल जिस जमीन पर पीएम आवास योजना के तहत घर बन रहा है उसका खाता नंबर 450 व खेसरा संख्या 2448 है। जमीन का रकबा करीब चार डिसमिल है। आश्चर्यजनक यह कि यह जमीन मरहूम मोहम्मद अकील अशरफ के नाम से रजिस्टर-2 में दर्ज है।
इस पूरे प्रकरण में कमरून निशा का कहना है कि जिस जमीन पर पीएम आवास योजना के तहत मकान बन रहा है, उस जमीन को उसने खरीद लिया है। जबकि सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार कमरून की जमीन, आवास बन रही जमीन के बगल में है। सरकारी आंकडों में अभी भी आवास बनने वाली जमीन के मालिकाना हक का आंकडा कुछ और बात की गवाही दे रहा है। जानकारी के अनुसार कमरून निशा ने पीएम आवासा योजना के तहत अपने आवेदन में दो जगहों पर जमीन का ब्यौरा दिया है, जबकि घर तीसरी जगह बन रहा है और वह भी किसी और की जमीन पर।
इस पूरे प्रकरण में डेमोक्रेटिक चरखा ने स्थानीय सीओ से बात करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया। वहीं नगर पंचायत के नगर मुख्य पार्षद यादवेंद्र ने मामले की जांच कराने की बात कही। उन्होंने कहा कि मामला संज्ञान में आया है। ऐसी चूक कहां और कैसे हुई है, इस बारे में पूरी जानकारी एकत्र की जाएगा। अगर यह मामला सही पाया जाएगा तो ऐसी गलती करने वाले के ऊपर कार्रवाई की जाएगी और भुगतान की गई राशि की वसूली की जाएगी।

2022 तक सबके लिए घर के लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2016 में प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण को लॉन्च किया था। इस प्रोजेक्ट को लागू करने के लिए केंद्र सरकार ने ग्रामीण विकास मंत्रालय को सहयोगी बनाया था। प्रोजेक्ट को दो फेज में शुरू किया गया था। तब कुल 2.95 करोड हाउसिंग यूनिट को बनाने का लक्ष्य रखा गया था जिसमें पहले फेज में 2016-17 से 2018-19 तक एक करोड तथा दूसरे फेज में 2019-20 से 2021-22 तक एक करोड 95 लाख यूनिट को लक्ष्य तय किया गया था। दो साल पहले केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने ने सरकारी आंकडों का हवाला देते हुए बताया कि 18 सितंबर 2020 तक बिहार में 12,32,977 हाउसिंग यूनिट का निर्माण हो चुका है। जिलेवार दी गई जानकारी के अनुसार तब अररिया जिले में 73,263, समस्तीपुर जिले में 72,242 व दरभंगा जिले में 70,624 हाउसिंग यूनिट का निर्माण हुआ था, जबकि सबसे कम 4954 हाउसिंग यूनिट का निर्माण अरवल जिले में हुआ था। केंद्र सरकार के आधिकारिक आंकडों के अनुसार 12 मार्च 2020 तक ग्राम सभा द्वारा सत्यापित आंकडों के अनुसार बिहार में 33,48,928 लाभुक परमानेंट वेट लिस्ट में हैं। इनमें से 21,85,181 को आवंटन 2016-17 से 2019-20 तक किया जा चुका है। आवंटित घरों में 19,93,783 घरों की स्वीकृति मिल चुकी है और 9,09,121 मकान पूरे भी हो चुके हैं। प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना – ग्रामीण के तहत लाभुकों का चयन सामाजिक, आर्थिक व जातीय जनगणना 2011 के आकलन के आधार पर किया गया था।

इधर जमुई जिले के झाझा ब्लॉक के बीडीओ कहते हैं, 2019 में जिनका नाम लाभुक सूची में नहीं जुड़ा होगा, उनको लाभ नहीं मिल सकेगा। अगर सूची में नाम रहा तो जरूर लाभ मिलेगा। मामला क्या है, इसकी जानकारी ली जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे लोग जिनका भी नाम सूची में नहीं शामिल हुआ है, वह तत्पर रहें तो और जैसे ही नाम जुडने की प्रक्रिया शुरू हो, अपने नाम को सूची में जरूर शामिल करवा लें।