पटना में स्मार्ट सिटी मिशन योजना का काम पूरे जोरों-शोरों के साथ हो रहा है. जगह-जगह पर कार्यस्थलों को स्मार्ट सिटी नामक बाउंड्री से घेर दिया गया है, ताकि लोगों को पता चल सके कि इस स्थान पर स्मार्ट सिटी से संबंधित कार्य हो रहे हैं. इस योजना के तहत पटना की सूरत बदलने के लिए कई योजनाओं पर भी काम हो रहा है.
शहर की सुंदरता बढ़ाने के लिए और स्वच्छ एवं सुविधा संपन्न पटना बनाने के लिए स्मार्ट सिटी योजना के तहत 930 करोड़ की योजनाओं पर काम चल रहा है. यह पूरा कार्य पटना स्मार्ट सिटी लिमिटेड यानी पी.एस.सी.एल के द्वारा किया जा रहा है.
केंद्र सरकार के द्वारा लाई गई स्मार्ट सिटी मिशन योजना के तकरीबन 7 साल पूरे हो चुके हैं लेकिन बिहार में अभी स्मार्ट सिटी का काम उतना सफल नहीं दिख रहा जितना दिखना चाहिए. इस साल के बजट में केंद्र सरकार स्मार्ट सिटी योजना के लिए 8000 करोड़ का बजट निर्धारित किया है.
क्या है स्मार्ट सिटी मिशन योजना
स्मार्ट सिटी मिशन भारत सरकार की एक पहल है जिसका उद्देश्य अच्छे तरीकों, सूचना एवं डिजिटल टेक्नोलॉजी, और अधिक सार्वजनिक-निजी भागीदारी के ज़रिेए शहरों तथा कस्बों में लोगों के जीवन स्तर में सुधार करना है. स्मार्ट सिटी मिशन को 25 जून, 2015 को लॉन्च किया गया था तथा इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉन्च किया था. मिशन को लागू करने की जिम्मेदारी केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय की है.
साथ ही, प्रत्येक राज्य में सी.ई.ओ की अध्यक्षता में एक स्पेशल पर्पज व्हीकल बनाया जाता है, वे मिशन के कार्यान्वयन की देखभाल करते हैं. मिशन को सफल बनाने हेतु 7,20,000 करोड़ रुपये की फंडिंग दी गई है. बिहार में पटना समेत चार शहरों को स्मार्ट बनाने का जिम्मा आईआईटी पटना को सौपा गया है. आईआईटी इंजीनियर की टीम को इस प्रोजेक्ट के मूल्यांकन से लेकर उसके निर्माण की गुणवत्ता के जांच की ज़िम्मेदारी दी गयी है. स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत भागलपुर, बिहारशरीफ और मुजफ्फरपुर को चुना गया है.
इस प्रोजेक्ट के संबंध में आईआईटी पटना को थर्ड पार्टी असाइनमेंट दिया गया है. इसको लेकर एम.ओ.यू पर हस्ताक्षर किये जा चुके हैं.
धीमी गति से चल रहा है कार्य
पटना स्मार्ट सिटी मिशन की गति काफी धीमी है. इस वजह से केंद्र सरकार के द्वारा निर्धारित लक्ष्य के अनुसार यह कार्य 2023 तक पूरा हो पाना संभव नहीं दिख रहा.
पिछले वर्ष केंद्र सरकार ने पटना स्मार्ट सिटी लिमिटेड से संबंधित ठेकेदारों को परियोजना में तेजी लाने का निर्देश दिया था. साथ ही तय समय-सीमा से पहले अनुमोदित परियोजनाओं के लिए पैसे का पूरा उपयोग सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया था.
स्मार्ट पार्किंग और रिवरफ्रंट जैसे प्रोजेक्ट अब तक नहीं हो पाए शुरू
स्मार्ट सिटी मिशन के तहत 734 करोड़ रुपए की लागत से तकरीबन 15 परियोजनाओं पर काम चल रहा है. अगर बात पिछले 5 वर्षों की करें तो 52 करोड़ों रुपए की लागत से 8 परियोजनाओं को सफलतापूर्वक पूरा किया जा चुका है.
लेकिन स्मार्ट पार्किंग, स्मार्ट रोड नेटवर्क और रिवरफ्रंट के विकास समेत 4 प्रोजेक्ट अब तक शुरू नहीं हो पाए हैं. इस वजह से काम की धीमी गति से चिंतित अधिकारियों ने कार्यकारी एजेंसियों को इस साल जून तक परियोजनाओं को पूरा करने का निर्देश भी दिया है.
धीमी गति को लेकर ठेकेदारों को भी दिया जा चुका है अल्टीमेटम
स्मार्ट सिटी कार्यों में हो रही देरी को लेकर ठेकेदारों को भी अल्टीमेटम दिया गया है. इन अल्टीमेटम के साथ ठेकेदारों को जल्दी से काम शुरू करने और खत्म करने के आदेश भी दिए गए हैं.
इस परियोजना के तहत एक 440 मीटर लंबा पैदल यात्री मेट्रो जो पटना जंक्शन के बकरी बाजार में प्रस्तावित जी प्लस टू मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट हब के लिए एक सहज कनेक्शन प्रदान करेगा. इसके अलावा पटना जंक्शन फ्लाईओवर को एमएलसीपी की दूसरी मंजिल से जोड़ने के लिए 5.5 मीटर चौड़ा ओवरब्रिज प्रस्तावित किया गया है. आपको बता दें कि इस परियोजना की लागत 209 करोड़ रुपए है जिसे इस साल के जून तक पूरा कर लेने की उम्मीद जताई जा रही है.
पटना के बाकरगंज के आसपास के इलाके की हालत अब भी खराब
कहने को तो सरकार दावा करती है कि स्मार्ट सिटी योजना के तहत पूरे पटना में कार्य प्रगति पर है. लेकिन सच्चाई तो यह है कि पटना में आज भी कई ऐसे इलाके हैं जहां लोग साफ-सफाई और स्वच्छता जैसी बुनियादी सुविधाओं से भी वंचित हैं.
बनाए गए नाले कुछ ही दिन में ढह गए. यह हालत पटना के बाकरगंज इलाके की है जहां लोग नाले की समस्या से परेशान हैं. कई बार आवेदन किए गए लेकिन समस्या का समाधान नहीं हो पाया. इस विषय पर हमने स्थानीय निवासी आशीष से बात की उन्होंने हमें बताया कि
जब से यह नाला टूटा है उस वक्त से लेकर अब तक नहीं बन पाया. लोग गिरते रहते हैं लेकिन ध्यान देने वाला कौन है? हम लोग तो देख-देख कर थक चुके लेकिन कोई सुनवाई हो तब ना.
उस इलाके में रहने वाली बबीता ने हमें बताया कि
सच्चाई तो यह है कि यह नाला कभी बना ही नहीं. लोग नाले में डूबते हैं. दुर्घटना होती रहती है. बहुत बार बोला हैं हमलोगों ने लेकिन अब तक नहीं बना.
वहां से सटे एक घर में रहने वाले नरेश ने हमें बताया कि
यह जो भगत सिंह चौक है यहां से लेकर आगे तक पूरा गंदा है. कुछ दिनों पहले की बात है कि एक बूढ़ा व्यक्ति इस नाले में गिर गया था और उसे काफी चोटें भी आई थीं. लोग उसी नाले में पेशाब करते हैं इससे बीमारी के फैलने का खतरा बहुत रहता है. हमलोग भी नाले में पाउडर छिड़क देते हैं लेकिन उससे कोई खास लाभ नहीं मिलता.
आधे से ज्यादा सीसीटीवी कैमरे भी शहर के खराब
एक तरफ पटना को स्मार्ट सिटी बनाने की बात की जा रही है, तो दूसरी तरफ इस स्मार्ट सिटी परियोजना का हाल काफी बेहाल दिखाई दे रहा है.
बिहार की राजधानी पटना में तमाम तरह की गतिविधियों पर नजर बनाए रखने के लिए शहर में लगभग 200 से अधिक सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे जिनमें आधे से ज़्यादा खराब पड़े हैं.
3 साल पहले पटना में लाखों रुपए खर्च करके पुलिस की तरफ से सीसीटीवी कैमरा लगाया गया ताकि किसी तरह की समस्या होने पर फुटेज से जांच की जा सके. लेकिन मेंटेनेंस नहीं होने की वजह से 50% कैमरे यूं ही बेकार पड़े हैं.
जानकारी के अनुसार स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत नए सिरे से ऑप्टिकल फाइबर के साथ कैमरा लगाया जाना है. इन कैमरों की संख्या लगभग 1200 बताई जा रही है.
शर्मसार करने वाली है पटना स्मार्ट सिटी की रैंकिंग
देश के स्मार्ट शहरों की रैंकिंग में पटना की स्थिति काफी खराब है. स्मार्ट सिटी की ताजा रैंकिंग के टॉप 75 में बिहार का कोई शहर नहीं है.
राजधानी पटना की स्थिति और भी बुरी है. पटना पिछले साल की रैंकिंग से 28 पायदान नीचे गिर कर 54वें से 82वें स्थान पर पहुंच गया है. इतना ही नहीं बिहार की चार स्मार्ट सिटी में भी पटना सबसे नीचे है.
बताया जा रहा है कि राज्य को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट बनाने के लिए काफी समय दिया गया था. जिसके साथ ही केंद्र ने स्मार्ट सीटी बनाने के लिए इस प्रोजेक्ट में दो साल और जोड़ दिए हैं.