नैक की रिपोर्ट: शोध में क्यों पिछड़ रहे हैं बिहार के विश्वविद्यालय?

ज्ञान की भूमि रही बिहार की स्थली अब खुद शिक्षा में बर्बादी की कगार पर है। यह बातें हम नहीं कह रहे हैं बल्कि आंकड़े इस बात की तस्वीर साफ़ कर रहे हैं। बिहार में कई विश्वविद्यालय हैं, लेकिन सोचनीय यह कि बेहतर शोध नहीं होने से ये विश्वविद्यालय नैक में पिछड़ रहे हैं। हालत यह है कि आज की तारीख में राज्य में केवल 10 प्रतिशत ही ऐसे कॉलेज हैं जो नैक से मान्यता प्राप्त हैं।

पटना के सौरव जियोग्राफी से पीएचडी करना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने कई बार कोशिश की। कई यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेने की जानकारी एकत्र की। किसी किसी यूनिवर्सिटी से नोटिफिकेशन ही नहीं निकला तो किसी यूनिवर्सिटी का नोटिफिकेशन कब आया , पता ही नहीं चला। सौरव की किस्मत अच्छी थी कि एकेयू में उनको पीएचडी के लिए एडमिशन मिला।

आरा के रहने वाले मनोहर कुमार भी उन स्टूडेंट्स में से हैं, जिन्होंने जेआरएफ क्लियर करने के बाद जियोग्राफी से पीएचडी करने की कोशिश की। तमाम यूनिवर्सिटी में उन्होंने इसके लिए प्रक्रिया में हिस्सा लिया। लेकिन बिहार की किसी यूनिवर्सिटी में उनको पीएचडी में एडमिशन नहीं मिला। मनोहर ने अंत मे बिहार से बाहर पीएचडी के लिए कई यूनिवर्सिटी में आवेदन किया है।

दरअसल ये केवल एक या दो स्टूडेंट्स की कहानी नहीं है। ऐसे कई स्टूडेंट्स हैं, जो अपने कीमती वक्त को बचाने की कोशिश करने में लगे हैं लेकिन यूनिवर्सिटी की ऐसी हालत है कि तमाम  छात्र अपने वक्त को बर्बाद होते देखने के लिए मजबूर हैं

पटना यूनिवर्सिटी के पूर्व वीसी व प्रख्यात शिक्षाविद् प्रोफेसर रास बिहार प्रसाद सिंह कहते हैं,

बिहार में अगर विश्वविद्यालय नैक में पिछड़ रहे हैं तो इसके एक नहीं बल्कि अनेक कारण है। मेरा मानना है कि इसके लिए टाइम बॉन्ड प्रमोशन स्कीम एक प्रमुख कारण है। इसके आने से कुछ सीखने या फिर बताने की जरूरत टीचर्स में खत्म जैसी हो गई है। ज्यादातर शिक्षकों की यही सोच है कि हम कुछ करें या नहीं करें, प्रोफेसर तो बन ही जाएंगे। कई ऐसे प्रोफेसर हैं जिन्होंने कभी पीजी का क्लास नहीं किया है। जब क्लास ही नहीं करेंगे तो शोध का अनुभव क्या होगा?

वर्तमान में राज्य में अंगीभूत व संबद्ध कॉलेजों की संख्या 974 है। इनमें से केवल 90 कॉलेजों को ही नैक से ग्रेडिंग मिली है यानि केवल दस प्रतिशत कॉलेज ही नैक से मान्यता प्राप्त है। इनमें से भी एक से डेढ़ प्रतिशत कॉलेज को ग्रेड ए मिला है। पीयू के दो कॉलेजों को नैक से सी ग्रेड प्राप्त हुआ है। जबकि कई कॉलेज बिना ग्रेड के ही हैं। नव स्थापित पाटलिपुत्र यूनिवर्सिटी के दो कॉलेज एएन कॉलेज व कॉलेज ऑफ कॉमर्स को नैक से ए ग्रेड मिला है जबकि 25 अंगीभूत कॉलेजों में 14 को नैक से ग्रेड मिला है।

प्रोफेसर सिंह बताते हैं,

इसके अलावा एक और प्रमुख कारण है यूनिवर्सिटी में शिक्षकों की भारी कमी। छात्र तो बढ़ गए लेकिन टीचर्स की कमी रही। क्लास अहम है। अब एक टीचर अगर क्लास लेगा तो वह फिर शोध के लिए कैसे वक्त निकालेगा?

नैक से मिली ग्रेडिंग में सबसे बेहतर अंक चाणक्य नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी को प्राप्त हुआ है। इसे 3.15 अंक मिला है जबकि तीन से ज्यादा अंक पाने वाली यूनिवर्सिटी में दूसरी यूनिवर्सिटी सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ बिहार है। इनके अलावा बिहार का कोई भी विश्वविद्यालय तीन अंक को प्राप्त नहीं कर पाया है। बिहार के विश्वविद्याल में सबसे बेहतर ग्रेडिंग पटना यूनिवर्सिटी को मिली है, इसे 2.55 अंक मिला है। जबकि बीआर अंबेदकर यूनिवर्सिटी को 2.27, कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय को 2,7, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय को 2.46, मगध विश्वविद्यालय को 1.76 तथा तिलका मांझी विश्वविद्यालय को 2.5 अंक प्राप्त हुआ है।

दरअसल नैक ग्रेड यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन का एक हिस्सा है। इस संस्था की जिम्मेदारी देशभर के विश्वविदयालयों, उच्च शिक्षण संस्थानों, निजी संस्थानों में गुणवत्ता को परखकर ग्रेड देना है। इसके लिए शिक्षण संस्थान अपने स्तर से प्राथमिक तैयारियां पूरी करने के बाद नैक ग्रेडिंग के लिए आवेदन करते हैं। इसके बाद नैक की टीम संस्थान का निरीक्षण करती है। निरीक्षण के दौरान कॉलेज में शिक्षण सुविधाएं, रिजल्ट, इंफ्रास्ट्रक्चर, माहौल समेत हर जरूरी बात की जानकारी ली जाती है। इस आधार पर नैक की टीम अपनी रिपोर्ट जमा करती है। इससे कॉलेज की सीजीपीए दिया जाता है जिसके आधार पर ग्रेड जारी होता है।

साल 2016 के बाद नैक के ग्रेडिंग पैटर्न में बदलाव कर दिया गया था। उससे पहले चार श्रेणियों में नैक की ग्रेडिंग होती थी, 2016 में आठ श्रेणियों में ग्रेडिंग तय की गई। पहले से ग्रेड प्राप्त संस्थानों की वैद्यता तक उनकी ग्रेडिंग पुराने पैटर्न पर मान्य होगी। अभी तक नैक की ओर से उच्च शिक्षण संस्थानों में 3.01 से ऊपर सीजीपीए पर ए ग्रेड दिया जाता था।

नैक के आधिकारिक वेबसाइट पर दी गई सूचना के अनुसार पीजी व अवोब कॉलेज में मिर्जा गालिब कॉलेज पहले पायदान पर है। जबकि सीरियल नंबर के अनुसार दूसरे नंबर पर मगध महिला कॉलेज, पटना, तीसरे पर पटना कॉलेज, चौथे पर मुंशी सिंह कॉलेज, पांचवें पर गया कॉलेज, छठे पर डीएस कॉलेज, सातवें पर नीतिश्वर महाविद्यालय, आठवें पर डॉक्टर जगन्नाथ मिश्र कॉलेज, मुजफ्फरपुर, नौंवे पर जानकी देवी वीमेंस कॉलेज, 10वें पर कोशी कॉलेज खगडिया,11वें पर बिहार नेशनल कॉलेज, पटना, 12वें पर अनुग्रह मेमोरियल कॉलेज, गया तथा 13वें नंबर पर एएन सिंह कॉलेज, बाढ़ है।

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