BPSC ने शिक्षक अभ्यर्थियों पर जारी किया नोटिस, छवि धूमिल करने का आरोप

BPSC ने मीडिया के माध्यम से आयोग की छवि खराब करने के आरोप में चार शिक्षक अभ्यर्थियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. इन चार अभ्यर्थियों ने आयोग पर फर्जी अभ्यर्थियों का रिजल्ट प्रकाशित करने, कट ऑफ और रिजल्ट में गड़बड़ी का आरोप लगाया था.

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BPSC पर सवाल उठाना अभ्यर्थियों को पड़ा मंहगा, आयोग ने जारी किया नोटिस

BPSC ने शिक्षक अभ्यर्थियों पर जारी किया नोटिस

बीपीएससी(BPSC) के अपर सचिव सह परीक्षा नियंत्रक (टीआरई) सत्यप्रकाश शर्मा ने इस आरोप के संबंध में बुधवार 2 नवंबर को आरोप लगाने वाले चार अभ्यर्थियों के फोटो, रोल नंबर जारी एक सप्ताह के अंदर स्पष्टीकरण मांगा है.

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शिक्षक अभ्यर्थी किशोर कुमार (रोल नंबर 888677) ने आरोप लगाया है, कि फर्जी अभ्यर्थियों का रिजल्ट जारी किया गया है. मो. सरफराज आलम (रोल नंबर 874686) का आरोप है कि आयोग ने तीन हजार फर्जी अभ्यर्थियों का रिजल्ट प्रकाशित किया है.

वहीं मो. मामून राशिद (रोल नंबर 912502) और पिंकी कुमारी (रोल नंबर 831961) ने आयोग पर कट ऑफ में गड़बड़ी करने का आरोप लगाया है.

आयोग ने इन चारों अभ्यर्थियों पर कार्रवाई करते हुए नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण देने को कहा है. आयोग का कहना है, बिना किसी तथ्य या सत्यापन के आरोप लगाना बिलकुल निराधार है. यह आयोग की ‘छवि को धूमिल’ करने का प्रयास है. इसलिए ऐसे लोग एक सप्ताह के भीतर स्पष्टीकरण दें.

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नेताओं और मीडिया चैनल को क्यों नहीं भेजा गया नोटिस

आयोग की सख्ती पर सवाल उठाते हुए छात्र नेता दिलीप कुमार कहते हैं “जहां तक छवि खराब किये जाने की बात है तो यह आरोप जीतन राम मांझी, सम्राट चौधरी, विजय सिन्हा और उपेंद्र कुशवाहा ने भी लगाया था. कई न्यूज़ चैनल पर भी यह खबर पूरे दिन चली थी. उन्हें तो कोई नोटिस नहीं भेजा गया. आयोग जब नोटिस जारी कर रही है तो इन सभी लोगों को भेजना चाहिए.”

आयोग ने BPSC अभ्यर्थियों के ऊपर नोटिस जारी किया

दिलीप आगे कहते हैं “कदाचार के आरोप में जिन 20 बच्चों के ऊपर आयोग ने कार्रवाई की है वह सही है. लेकिन धांधली के संदेह में आरोप लगाने वाले अभ्यर्थियों को नोटिस भेजना सही नहीं है. बीपीएससी को संवेदनशीलता दिखानी चहिए. अभ्यर्थी अगर कोई आरोप लगा रहा है तो बीपीएससी को आरोप का सपष्टीकरण या जवाब देकर मामले को शांत करना चाहिए. एक सीरियल रोल नंबर से  अभ्यर्थी पास हुए है इससे अभ्यर्थियों के मन में संदेह उत्पन्न होता है. क्योंकि आयोग की पिछली परीक्षा में धांधली सेटिंग का मामला सामने आ चुका है.”

दिलीप कुमार ने अभ्यर्थियों से भी आग्रह किया है कि बिना किसी साक्ष्य के किसी पर आरोप ना लगाएं. सरकार या आयोग को बदनाम करने की मंशा से कभी भी आरोप ना लगायें.

आयोग ने स्पष्टीकरण में अभ्यर्थियों से सवाल पूछा है- क्यों नहीं आपके खिलाफ विधि सम्मत या कानूनी कार्रवाई की जाए और क्यों ना आयोग के आगामी परीक्षाओं में भाग लेने से वंचित कर दिया जाए?

आयोग के अनुसार, निर्धारित समय पर अगर स्पष्टीकरण नहीं दिया गया तो यह माना जाएगा, कि अभ्यर्थियों को इस संबंध में कुछ नहीं कहना है और आयोग उनके विरुद्ध विधि सम्मत कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र होगा.

इससे पहले भी बीपीएससी अध्यक्ष ने अभ्यर्थियों को चेताया था, निराधार आरोप ना लगाये वरना उनके विरूद्ध कार्रवाई की जाएगी.

अभ्यर्थियों ने BPSC पर लगाया रिजल्ट गड़बड़ी का आरोप

बीपीएससी ने 17 अक्टूबर को शिक्षक भर्ती परीक्षा का रिजल्ट जारी किया था. पहले दिन उच्च माध्यमिक विषय हिंदी के रिजल्ट जारी किये गए थे. उसके बाद चरणबद्ध रूप से बाकी विषयों और कक्षाओं के रिजल्ट जारी किये गए थे.

लेकिन रिजल्ट जारी होने के बाद अभ्यर्थियों ने नतीजों को लेकर आरोप लगाने शुरू कर दिए थे. उनकी ओर से दावा किया गया था कि कक्षा 9वीं,10वीं, 11वीं  और 12वीं  के लिए दो अलग-अलग श्रेणियों में 1,000 से अधिक उम्मीदवारों को एक साथ पास किया गया है.

वहीं अभ्यर्थियों का आरोप था कि दूसरे राज्य से आए कई अभ्यर्थियों को माध्यमिक के रिजल्ट में पास कर दिया गया है. क्योंकि दूसरे राज्य के अभ्यर्थियों को माध्यमिक और उच्च माध्यमिक में परीक्षा देने की अनुमति नहीं थी, लेकिन फिर भी उन्हें सफल घोषित किया गया है.

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इसके अलावा कुछ अभ्यर्थियों के फर्जी तरीके से एसटीईटी (STET) 2019 प्रमाणपत्र के आधार पर परीक्षा देने का भी आरोप लगाय था. अभ्यर्थियों का कहना था कि 8 लाख आवेदक होने के बावजूद हजारों पद खाली कैसे रह गए.

अभ्यर्थियों ने इन्हीं सब आरोपों के साथ 25 और 26 अक्टूबर को बीपीएससी ऑफिस के बाहर हंगामा भी किया था. रिजल्ट गड़बड़ी के आरोप के साथ बड़ी संख्या में दिव्यांग अभ्यर्थी भी बीपीएससी कार्यालय के बाहर जमा हुए थे.

हंगामे और आरोप के बाद आयोग ने अभ्यर्थियों के संतुष्टि के लिए कटऑफ लिस्ट जारी किया था. आयोग ने 25 अक्टूबर की रात को सभी विषयों और सभी श्रेणियों के लिए अलग-अलग कटऑफ लिस्ट जारी किया था. वहीं 27 अक्टूबर को सफल अभ्यर्थियों के मार्कशीट भी जारी कर दिए गए थे.

कदाचार के आरोप में 20 शिक्षक अभ्यर्थियों को किया ब्लैकलिस्ट

आयोग ने इससे पहले परीक्षा में गड़बड़ी करने वाले 20 अभ्यर्थियों पर कार्रवाई करते हुए उन्हें ब्लैक लिस्ट कर दिया है. 31 अक्टूबर को जारी नोटिस में आयोग इन अभ्यर्थियों को आगामी 5 सालों तक आयोग द्वारा आयोजित किसी भी परीक्षा में शामिल होने से वंचित कर दिया है. इन अभ्यर्थियों पर दुसरे के बदले परीक्षा देने और गलत प्रमाणपत्र जमा करने का आरोप है.

आयोग ने दस्तावेज सत्यापन में अनुपस्थित रहने वाले अभ्यर्थियों को भी नोटिस जारी कर 9 नवंबर तक जवाब मांगा है. पर्याप्त अवसर रहने के बाद भी वे प्रक्रिया में शामिल क्यों नहीं हुए. इसके कारण आयोग के समय और संसाधन की बर्बादी हुई है. आयोग, इसे कदाचार का प्रयास मानकर उनपर कार्रवाई करना चाहती है.

आयोग पर सवाल उठाने या उसके काम में बाधा डालने के आरोप में अभ्यर्थियों को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया गया है. लेकिन उन लाखों बीएड अभ्यर्थियों का क्या जिनके समय और पैसे की बर्बादी सरकार और आयोग ने किया? क्या उस कृत्य के लिए सरकार और आयोग को पांच साल के लिए ब्लैक लिस्ट किया जा सकता है.

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