स्वच्छता सर्वेक्षण में बिहार को मिला 15वां रैंक, कचरा प्रबंधन में सुधार लाकर राज्य बना सकता है टॉप 10 में जगह

स्वच्छता सर्वेक्षण २०२३ में पटना को ओवरऑल रैंकिंग में नुकसान उठाना पड़ा है. पिछले वर्ष जहां पटना को 10 लाख से कम आबादी वाले शहरों में 38वां रैंक मिला था.

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स्वच्छता सर्वेक्षण

कचरा प्रबंधन में सुधार लाकर राज्य बना सकता है टॉप 10 में जगह

भारत सरकार द्वारा शहरों में स्वच्छता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू किया गया ‘स्वच्छता सर्वेक्षण का आठवां संस्करण पूरा हो चुका है. इस आठवें संस्करण की शुरुआत मई 2022 में ही किया गया था, जिसमें देश के 4800 से ज़्यादा शहरों ने भाग लिया था. चार चरणों में चले इस सर्वेक्षण में बिहार को देश के 27 राज्यों में से 15वां स्थान मिला है. वहीं इस सर्वेक्षण में बिहार से 142 शहरों ने भाग लिया था, जिसमें राजधानी पटना को टॉप 100 शहर में शामिल किया गया था. एक लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों में पटना की रैंकिंग 77 रही है. 

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साल 2023 के संस्करण में पटना ने पहली बार चार अलग-अलग तरह की कैटेगरी- गार्बेज फ्री सिटी, गंगा टाउन, वाटर प्लस और मुख्य सर्वे में भाग लिया था. गार्बेज फ्री सिटी और वाटर प्लस में अच्छे नंबर मिलने के बाद ही पटना 3 स्टार रेटिंग शहरों में शामिल हो सकता था. लेकिन पटना को इस बार 1 स्टार से ही संतोष करना पड़ा. यह पहला मौका है जब पटना को स्टार रेटिंग के लिए चयनित किया गया.

हालांकि ओवरऑल रैंकिंग में पटना को इसबार नुकसान उठाना पड़ा पिछले वर्ष जहां पटना को 10 लाख से कम आबादी वाले शहरों में 38वां रैंक मिला था. वहीं इस बार एक लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों में पटना की ओवरऑल रैंकिंग 77 आई है.

शहर को स्वच्छता रैंक में ऊपर आने के लिए कई स्तरों पर सुधार करने की आवश्यकता है. जिसमें तीन चरण मुख्य हैं....

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  • Waste generation vs processing (कूड़े को प्रोसेस और नष्ट करना) 66% अंक मिला है
  • Remediation of Dumpsites (कूड़ेदानों का निवारण) 40% अंक मिला है
  • Source Segregation (स्रोत पृथक्करण) 28% अंक मिला है

कचरा प्रबंधन पर पीएमसी के प्रयासों की बात करते हुए पीआरओ स्वेता भास्कर बताती हैं “नगर निगम अपने प्रयास से शहर में सफाई के स्तर को बढ़ा रहा है. पहली बार पटना जीएसपी में शामिल हुआ है और इसी में हमें 1 स्टार मिला है. स्वच्छता सर्वेक्षण(cleanliness survey) का जो टूलकिट है इसमें कई क्रिटेरिया हैं उसमें कचरा प्रबंधन भी आता है. लेकिन यह केवल पटना नगर निगम के प्रयास से नहीं होगा इसमें नगर विकास विभाग, सरकार और जन भागीदारी की भी जरुरत है. हमने बैरिया में कचरा प्रबंधन प्लांट तो लगा लिया है लेकिन उसकी क्षमता बढ़ाने के लिए हमने नगर विकास विभाग को प्रस्ताव भेजा है. वहीं आज भी लोग गीला और सूखा कचरा मिलाकर दे देते हैं इसमें बदलाव लाने का प्रयास कर रहे हैं.”

वेस्ट मैनेजमेंट में पीछे है बिहार

बिहार के  स्वच्छता रैंकिंग में पिछड़ने का सबसे बड़ा कारण कूड़े के पृथक्करण और उसके निष्पादन में पीछे होना है. 2023 के स्वच्छता सर्वेक्षण में कचरे के पृथक्करण में राज्य को 15% और कूड़ा प्रोसेसिंग में 12% अंक ही मिला है. कचरा निष्पादन की प्रक्रिया में सुधार लाने के लिए नगर विकास एवं आवास विभाग ने अत्याधुनिक प्लांट लगाने का निर्णय लिया है.

राज्य के सभी नगर निकायों से निकलने वाले कचरे को हर दिन जीरो लेवल पर लाने के लिए प्रदेश में 20 क्लस्टर में अत्याधुनिक प्लांट लगाए जाने है. पटना में रामाचक बैरिया सहित 20 कलस्टर में कचरा निस्तारण के लिए मार्च से प्लांट का निर्माण शुरू होगा.

20 कलस्टर में पटना, मुजफ्फरपुर, भागलपुर, पूर्णिया, रोहतास, आरा, औरंगाबाद, जहानाबाद सहित सभी जिलों को शामिल किया गया है. नगर विकास एवं आवास विभाग के अनुसार केंद्र और राज्य सरकार दोनों मिलकर प्लांट तैयार करेंगे. प्लांट तैयार करने के लिए केंद्र सरकार को पहले ही प्रस्ताव भेजा गया था. जिसके बाद केंद्र ने राज्य के नगर निकायों से निकलने वाले कूड़े का वजन सहित अन्य जानकारी मांगी थी. विभाग ने इसी माह संशोधित प्रस्ताव को वापस केंद्र को भेजा था. स्वीकृति मिलने के बाद प्लांट का निर्माण शुरू किया जाएगा. वहीं अगर केंद्र सरकार प्रस्ताव पर अपनी स्वीकृति नहीं देता है तो राज्य सरकार अपने खर्च से प्लांट का निर्माण करवाएगी.

राज्य के विभिन्न जिलों में पटना मॉडल पर ही प्लांट का निर्माण करवाया जायेगा. पटना मॉडल को ही राज्य के 20 कलस्टरों में लागू किया जायेगा. राजधानी पटना समेत आस-पास के 11 निकायों से हर दिन लगभग 1450 टन कचरा निकलता है. इनकी प्रोसेसिंग के लिए रामाचक बैरिया में पांच प्लांट लगाए जाने की सैधांतिक सहमती पहले ही मिल चुकी है. बैरिया में 86 एकड़ में प्लांट बनाया जायेगा जिसका संचालन पीपीपी मोड में किया जायेगा.

पांच हजार टन सीएनजी तैयार करने की योजना

रामाचक बैरिया में अत्याधुनिक प्लांट में कूड़ा-कचरा से हर महीने पांच हजार किलो सीएनजी गैस तैयार करने की भी योजना है. एक प्लांट से प्रति दिन 100 टन सीएनजी गैस तैयार की जाएगी. इससे 15 मेगावाट बिजली का उत्पादन करने की भी योजना है.

पटना नगर निगम, फुलवारी शरीफ, बिहटा, दानापुर, खगौल, फतुहा, मनेर, मसौढ़ी, नौबतपुर, पुनपुन, संपतचक और बख्तियारपुर से हर दिन 1450 टन कूड़ा-कचरा निकलने का अनुमान लगाया गया है. नगर विकास विभाग ने यह आंकड़ा 2026 तक के लिए निकाला है. इन 11 निकायों के कूड़ा-कचरा बैरिया में डंप होंगे. हालांकि कूड़ा-कचरा कलेक्शन और बैरिया तक पहुंचाने की जिम्मेवारी नगर निकायों की ही रहेगी.

20% घरों से नहीं होता है कचरे का उठाव

केंद्रीय शहरी और आवासन मंत्रालय के स्वच्छ भारत मिशन वेबसाइट पर मौजूद आंकड़ों के अनुसार बिहार के 256 ULB के 5,236 वार्डों में से 3,579 (68%) वार्डों से डोर टू डोर कचरा का उठाव होता है. वहीं राज्य में रोज़ाना 6,106.05 टीडीपी (tons per day) कचरा निकलता है. जिसमें से मात्र 1,305.99 टीडीपी यानि 21% कचरा ही प्रोस्सेस हो पाता है. शेष 79% कचरा रोजाना बिना प्रोसेसिंग के, ऐसे ही पर्यावरण में जा रहा है.

पटना शहर को स्वच्छता सर्वे 2023 में अपनी रैंकिंग सुधारने के लिए सबसे पहले शहर से निकलने वाले कचरे का उचित प्रबंधन करना होगा. स्वच्छ भारत मिशन के वेबसाइट पर मौजूद आंकड़ों के अनुसार बिहार में 45 डंपिंग साईट हैं. जिनमें से 12 डंपिंग साईट गंगा किनारे बसे शहरों में स्थित है.

बिहार नगरपालिका अधिनियम, 2007 और नगरीय ठोस कचरा (प्रबंधन एवं हैंडलिंग) नियम, 2000 के अनुसार, पीएमसी शहर में ठोस कचरा प्रबंधन के लिए जिम्मेदार नगर निकाय है. साल 2018 तक पटना में ठोस कचरा प्रबंधन के लिए घरेलू कचरे को गली के खुले गड्ढे या सामुदायिक कूड़ा साइट में फेंका जाता था. इस कचरे में जैविक और अजैविक दोनों तरह के कचरे सम्मिलित होते थे.

साल 2018 में केंद्र सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन (SBM) की शुरुआत की थी. इसी मिशन के तहत पटना नगर निगम ने घर-घर जाकर कचरा इकट्ठा करने का एक व्यापक अभियान शुरू किया है. हालांकि, कचरा उठाव में गीला और सूखा कचरा अलग करके नहीं लिया जाता है, जिसके कारण उसके निष्पादन में भी समस्या आ रही है.

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